Author Details

Pen Name:'Iqbal'
Real Name:Mohammad Iqbal
Born:09 Nov 1877 | Sialkot, Punjab
Died:21 Apr 1938 | Lahore, Punjab
One of the greatest Urdu Poets. National poet of Pakistan who penned 'Saare jahaan se achha hindostaan hamara' and 'Lab pe aati hai dua ban ke tamanna meri'One of the greatest Urdu Poets. National poet of Pakistan who penned 'Saare jahaan se achha hindostaan hamara' and 'Lab pe aati hai dua ban ke tamanna meri'
डर के किसी से छुप जाता है जैसे साँप ख़ज़ाने में
ज़र के ज़ोर से ज़िंदा हैं सब ख़ाक के इस वीराने में
जिनके दिल में पहले से,
बेवफाई छुपी होती है,
वह अक्सर वफा के नाम से,
डरते रहते हैं…!!
छूट गए पीसने प्यार का इजहार करते हुए,
बाद में पता चला वो तो दोनों कानों से बहरा है!
सादा समझो न इन्हें रहने दो दीवाँ में 'अमीर'
यही अशआर ज़बानों पे हैं रहने वाले
More Shayari
Motivational Shayari

हम परवरिश-ए-लौह-ओ-क़लम करते रहेंगे,
जो दिल पे गुज़रती है रक़म करते रहेंगे।
~ फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
हौसलों पर अपने जो ऐतबार करते हैं,
उन्हें मंज़िलें खुद पते बताती हैं, रास्ते इंतज़ार करते हैं।

हम परवरिश-ए-लौह-ओ-क़लम करते रहेंगे,
जो दिल पे गुज़रती है रक़म करते रहेंगे।
~ फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

हम परवरिश-ए-लौह-ओ-क़लम करते रहेंगे,
जो दिल पे गुज़रती है रक़म करते रहेंगे।
~ फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

हम परवरिश-ए-लौह-ओ-क़लम करते रहेंगे,
जो दिल पे गुज़रती है रक़म करते रहेंगे।
~ फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
प्यासो रहो न दश्त में बारिश के मुंतज़िर,
मारो ज़मीं पे पाँव कि पानी निकल पड़े।
Festival Shayari

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

लुत्फ़ आने लगा जफ़ाओं में
वो कहीं मेहरबाँ न हो जाए
~ Ameer Meenai
लुत्फ़ आने लगा जफ़ाओं में वो कहीं मेहरबाँ न हो जाए
ना खुशियों की कमी हो, ना मुस्कुराहटों की कमी हो, तारों से सजा आसमा आपका, फूलों से सजी जमीं हो, कभी ना आये आपकी इन प्यारी आंखो मे आंसू, भीगे पलके अगर आपकी तो वो सिर्फ खुशियों की नमी हो। आपको जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई!

दुनिया को खुशी चाहिए,
और मुझे हर खुशी में तुम !
~ अज्ञात
दुनिया को खुशी चाहिए, और मुझे हर खुशी में तुम !
Funny Shayari

मेरे दिल की हर धड़कन तुम्हारा नाम फुसफुसाती है,
मेरी हर सांस तुम्हारे प्यार में गुनगुनाती है।
~ अज्ञात
मेरे दिल की हर धड़कन तुम्हारा नाम फुसफुसाती है, मेरी हर सांस तुम्हारे प्यार में गुनगुनाती है।

तलाश मेरी थी और भटक रहा था वो,
दिल मेरा था और धडक रहा था वो,
प्यार का ताल्लुक अजीब होता है,
प्यास मेरी थी और सिसक रहा था वो……!!!
~ अज्ञात
तलाश मेरी थी और भटक रहा था वो, दिल मेरा था और धडक रहा था वो, प्यार का ताल्लुक अजीब होता है, प्यास मेरी थी और सिसक रहा था वो……!!!

तू चाँद और मैं सितारा होता,
आसमान में एक आशियाना हमारा होता,
लोग तुम्हे दूर से देखते,
नज़दीक़ से देखने का हक़ बस हमारा होता……!!!
~ अज्ञात
तू चाँद और मैं सितारा होता, आसमान में एक आशियाना हमारा होता, लोग तुम्हे दूर से देखते, नज़दीक़ से देखने का हक़ बस हमारा होता……!!!

तेरी आवाज़ से प्यार है हमें,
इतना इज़हार हम कर नहीं सकते,
हमारे लिए तू उस खुदा की तरह है,
जिसका दीदार हम कर नहीं सकते……..!!!
~ अज्ञात
तेरी आवाज़ से प्यार है हमें, इतना इज़हार हम कर नहीं सकते, हमारे लिए तू उस खुदा की तरह है, जिसका दीदार हम कर नहीं सकते……..!!!

एक बार उसने कहा था,
मेरे सिवा किसी से प्यार ना करना,
बस फिर क्या था,
तबसे मोहब्बत की नजर से हमने खुद को भी नहीं देखा…..!!!
~ अज्ञात
एक बार उसने कहा था, मेरे सिवा किसी से प्यार ना करना, बस फिर क्या था, तबसे मोहब्बत की नजर से हमने खुद को भी नहीं देखा…..!!!
अज्ञात
वही कारवाँ वही रास्ते वही ज़िंदगी वही मरहले मगर अपने अपने मक़ाम पर कभी तुम नहीं कभी हम नहीं
View Shayariअज्ञात
“कभी-कभी दिल को भी समझाना पड़ता है कि जिसे हम चाहते हैं, वो हमें नहीं चाहता।”
View Shayariअज्ञात
लोग इंसान देख कर प्यार करते हैं मैने प्यार करके एक इंसान को देख लिया।
View Shayariधोखा देना तेरी आदत में शुमार हो गया,
धोखा देना तेरी आदत में शुमार हो गया, हम तो प्यार में थे, तू खेल समझ बैठा।
अज्ञातआईना भी क्या कहे, जब दिल टूटा आईने में,
आईना भी क्या कहे, जब दिल टूटा आईने में, बेवफाई की चोट से, हर तस्वीर अधूरी लगे।
अज्ञातनादान दिल अक्सर सुनता था जिसकी बातो को,
नादान दिल अक्सर सुनता था जिसकी बातो को, अब वो बेवफा शख्स बहुत याद आता रातो को…!!
अज्ञातबेवफा वक़्त था, तुम थे, या मेरा मुकद्दर,
बेवफा वक़्त था, तुम थे, या मेरा मुकद्दर, बात इतनी ही है कि अंजाम जुदाई निकला।
अज्ञाततेरी फितरत को गिरते,
तेरी फितरत को गिरते, इतना करीब से देखा है मैंने, तू किरदार बदल रही थी अपना, तेरा चेहरा गिरता देखा है मैंने…!!
अज्ञातलम्हा लम्हा सांसें खत्म हो रही हैं,
लम्हा लम्हा सांसें खत्म हो रही हैं, जिंदगी मौत के पहलू में सौ रही है, उस बेवफा से ना पूछो मेरी मौत की वजह, वो तो ज़माने को दिखाने के लिए रो रही है।
अज्ञात
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शायरी, वो कला है जो दिल से निकल कर सीधे दिल तक पहुंचती है। हर शब्द में छुपा है अनकही कहानियों का खजाना। आइए, अपने जज़्बातों को खूबसूरत अल्फाज़ों में बदलें।

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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"