Author Details

Pen Name:'Amanat'
Real Name:Syyad Agha Hasa
Born:Lucknow, Uttar pradesh
Died:03 Jan 1858 | Lucknow, Uttar pradesh
Famous for his musical play 'Inder Sabha', contemporary of the last Nawab of Avadh, wajid Ali Shah.Famous for his musical play 'Inder Sabha', contemporary of the last Nawab of Avadh, wajid Ali Shah.
जब आता है जीवन में खयालातों का हंगामा
हास्य बातो या जज़्बातो मुलाकातों का हंगामा
जवानी के क़यामत दौर में ये सोचते है सब
ये हंगामे की राते है या है रातो का हंगामा
फिर देखिए अंदाज़-ए-गुल-अफ़्शानी-ए-गुफ़्तार
रख दे कोई पैमाना-ए-सहबा मेरे आगे
जिंदगी आ बैठ, ज़रा बात तो सुन,
मुहब्बत कर बैठा हूँ, कोई मशवरा तो दे……!!!
एक बार उसने कहा था,
मेरे सिवा किसी से प्यार ना करना,
बस फिर क्या था,
तबसे मोहब्बत की नजर से हमने खुद को भी नहीं देखा…..!!!
More Shayari
Motivational Shayari

वक्त से लड़कर और अपना नसीब खुद बदले,
इंसान वही है जो अपनी तकदीर बदल ले।
~ अज्ञात
कोई क़ाबिल हो तो हम शान-ए-क़ाए दे देते हैं,
ढूँढने वालों को दुनिया भी नई दे देते हैं।

वक्त से लड़कर और अपना नसीब खुद बदले,
इंसान वही है जो अपनी तकदीर बदल ले।
~ अज्ञात
अत्तार’ हो ‘रूमी’ हो ‘राज़ी’ हो ‘ग़ज़ाली’ हो,
कुछ हाथ नहीं आता बे-आह-ए-सहर-गाही।

वक्त से लड़कर और अपना नसीब खुद बदले,
इंसान वही है जो अपनी तकदीर बदल ले।
~ अज्ञात

वक्त से लड़कर और अपना नसीब खुद बदले,
इंसान वही है जो अपनी तकदीर बदल ले।
~ अज्ञात
चंग ओ नय रंग पे थे अपने लहू के दम से
दिल ने लय बदली तो मद्धम हुआ हर साज़ का रंग
Festival Shayari

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

छोटी छोटी बातों में खुशियाँ तलाश लेता हूँ,
ऑटो में चलता हूँ फिर भी फ़ोन को फ्लाइट मोड पे डाल लेता हूँ।
~ अज्ञात
छोटी छोटी बातों में खुशियाँ तलाश लेता हूँ, ऑटो में चलता हूँ फिर भी फ़ोन को फ्लाइट मोड पे डाल लेता हूँ।
क्या वो भी चाव-चूज़ के दिन थे कि जिन दिनों गर्दन में मेरी यार का दस्त-ए-ख़मीदा था
ग़म सीं अहल-ए-बैत के जी तो तिरा कुढ़ता नहीं यूँ अबस पढ़ता फिरा जो मर्सिया तो क्या हुआ
Funny Shayari
अज्ञात

रोशनी चाँद से होती है सितारों से नहीं,
मेरी कश्ती वहाँ डूबी जहाँ पानी कम था।
मेरा शेर मेरी मर्ज़ी…
~ अज्ञात

आपके आने से ज़िंदगी कितनी खूबसूरत है,
दिल मे बसी है जो वो आपकी ही सूरत है,
दूर जाना नही हमसे कभी भूलकर भी,
हमे हर कदम पर आपकी ज़रूरत है……..!!!
~ अज्ञात
आपके आने से ज़िंदगी कितनी खूबसूरत है, दिल मे बसी है जो वो आपकी ही सूरत है, दूर जाना नही हमसे कभी भूलकर भी, हमे हर कदम पर आपकी ज़रूरत है……..!!!

हम अपनी दिलपसंद पनाहों में आ गए,
जब हम सिमट के आपकी बाहों में आ गए…..!!!
~ अज्ञात
हम अपनी दिलपसंद पनाहों में आ गए, जब हम सिमट के आपकी बाहों में आ गए…..!!!

कितनी ख़ूबसूरत हो जाती है दुनिया,
जब कोई अपना कहता है की तुम बहुत याद आ रहे हो…….!!!
~ अज्ञात
कितनी ख़ूबसूरत हो जाती है दुनिया, जब कोई अपना कहता है की तुम बहुत याद आ रहे हो…….!!!

अपनी सांसों में महकता पाया है तुझे,
हर खवाब मे बुलाया है तुझे,
क्यू न करे याद तुझ को,
जब खुदा ने हमारे लिए बनाया है तुझे……..!!!
~ अज्ञात
अपनी सांसों में महकता पाया है तुझे, हर खवाब मे बुलाया है तुझे, क्यू न करे याद तुझ को, जब खुदा ने हमारे लिए बनाया है तुझे……..!!!

मुझे तो सिर्फ तुम चाहिए,
ना तुमसे बेहतर ना तुमसे अच्छा।
~ अज्ञात
मुझे तो सिर्फ तुम चाहिए, ना तुमसे बेहतर ना तुमसे अच्छा।
Shakeel Badayuni
सितम-नवाज़ी-ए-पैहम है इश्क़ की फ़ितरत फ़ुज़ूल हुस्न पे तोहमत लगाई जाती है
View Shayariअज्ञात
“चुप हैं, खामोश हैं, मगर खोए नहीं, बस वो कहते कुछ नहीं और हम रोते कुछ नहीं।”
View Shayariअज्ञात
जब भी तेरी याद आती है, आंखों में आंसू और दिल में बेचैनी सी छा जाती है।
View Shayariअज्ञात
बहुत अजीब हैं, तेरे बाद की, ये बरसातें भी, हम अक्सर बन्द कमरे में, भीग जाते हैं।
View Shayariलड़के बेवफा नहीं होते वो बस
लड़के बेवफा नहीं होते वो बस Confuse होते हैं … की कौन सी वाली ज्यादा प्यारी है …
अज्ञाततेरे बिना ज़िंदगी कुछ भी नहीं,
तेरे बिना ज़िंदगी कुछ भी नहीं, तू छोड़ दे इसे, हम बस ज़िंदगी गुज़ारेंगे…!!
अज्ञाततूने ही लगा दिया इलज़ाम-ए-बेवफाई,
तूने ही लगा दिया इलज़ाम-ए-बेवफाई, अदालत भी तेरी थी गवाह भी तू ही थी…!!
अज्ञातआँखों की नींद दोनों तरह से हराम है,
आँखों की नींद दोनों तरह से हराम है, उस बेवफ़ा को याद करें या भुलाएँ हम…!!
अज्ञातइस क़दर मुसलसल थीं शिद्दतें जुदाई की
इस क़दर मुसलसल थीं शिद्दतें जुदाई की आज पहली बार उस से मैं ने बेवफ़ाई की
अहमद फ़राज़दर्द इतना है कि रूह तक जख्मी है,
दर्द इतना है कि रूह तक जख्मी है, तेरी बेवफ़ाई का असर अभी तक नमी है…!!
अज्ञातअजब चराग़ हूं दिन रात जलता रहता हूं
अजब चराग़ हूं दिन रात जलता रहता हूं मैं थक गया हूं हवा से कहो बुझाए मुझे
बशीर बद्र
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❤️ दिल से शायरी ❤️
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Some Facts
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of people who read motivational Shayari feel a noticeable boost in their productivity and focus.
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Writing Shayari as a journaling exercise improved emotional intelligence by 25% in individuals over a six-month period.
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शायरी क्यों खास है:
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Top Categories
❤️ अपनी भावनाओं को शायरी में ढालें ❤️
शायरी, वो कला है जो दिल से निकल कर सीधे दिल तक पहुंचती है। हर शब्द में छुपा है अनकही कहानियों का खजाना। आइए, अपने जज़्बातों को खूबसूरत अल्फाज़ों में बदलें।

शायरी के फायदे:
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"













































