Author Details

Pen Name:'azhar'
Real Name:Azhar Ali Khan
Born:15 Apr 1946 | Rampur, Uttar pradesh
Prominent poet of Rampur School/ Disciple of Mahshar InayatiProminent poet of Rampur School/ Disciple of Mahshar Inayati
थमे आँसू तो फिर तुम शौक़ से घर को चले जाना
कहाँ जाते हो इस तूफ़ान में पानी ज़रा ठहरे
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तुजू ही सही
नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही
रोने ने मिरे सैकड़ों घर ढा दिये लेकिन
क्या राह तिरे कूचे की हमवार निकाली
जो मैं सर-ब-सज्दा हुआ कभी तो ज़मीं से आने लगी सदा
तिरा दिल तो है सनम-आश्ना तुझे क्या मिलेगा नमाज़ में
मैं ने कहा कि बज़्म-ए-नाज़ चाहिए ग़ैर से तिही
सुन के सितम-ज़रीफ़ ने मुझ को उठा दिया कि यूँ
बहर-ए-हस्ती सा कोई दरिया-ए-बे-पायाँ नहीं
आसमान-ए-नील-गूँ सा सब्ज़ा-ए-साहिल कहाँ
More Shayari
Motivational Shayari

देख ज़िंदाँ से परे रंग-ए-चमन जोश-ए-बहार,
रक़्स करना है तो फिर पाँव की ज़ंजीर न देख।
~ मजरूह सुल्तानपुरी

देख ज़िंदाँ से परे रंग-ए-चमन जोश-ए-बहार,
रक़्स करना है तो फिर पाँव की ज़ंजीर न देख।
~ मजरूह सुल्तानपुरी

देख ज़िंदाँ से परे रंग-ए-चमन जोश-ए-बहार,
रक़्स करना है तो फिर पाँव की ज़ंजीर न देख।
~ मजरूह सुल्तानपुरी
जिन राहों पर चल पड़े हो सफर की ओर, हौसला रखो तुम,
कभी आएंगे सहरा, तो कभी समंदर भी तुम।

देख ज़िंदाँ से परे रंग-ए-चमन जोश-ए-बहार,
रक़्स करना है तो फिर पाँव की ज़ंजीर न देख।
~ मजरूह सुल्तानपुरी
गो हाथ को जुम्बिश नहीं आँखों में तो दम है
रहने दो अभी साग़र-ओ-मीना मिरे आगे
Festival Shayari

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

तासीर-ए-बर्क़-ए-हुस्न जो उन के सुख़न में थी
इक लर्ज़िश-ए-ख़फ़ी मिरे सारे बदन में थी
~ Hasrat Mohani
तासीर-ए-बर्क़-ए-हुस्न जो उन के सुख़न में थी इक लर्ज़िश-ए-ख़फ़ी मिरे सारे बदन में थी
मुसीबतें आयें या हंसी हो बीते सारे पल, तू हमेशा मेरे दिल के करीब है, मेरा सच्चा यार।
ये क्या सबब जो इधर चाँदनी नहीं आती ख़ुदा ने चाँद बनाया है सब के घर के लिए

सोचती हु आज जशन मनाये
मगर फिर याद आया
जशन मनानेवाले ही कहा रहे
~ अज्ञात
सोचती हु आज जशन मनाये मगर फिर याद आया जशन मनानेवाले ही कहा रहे
Funny Shayari

अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा
~ बशीर बद्र
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा

हम तो आँखों में संवरते हैं, वही संवरेंगे,
हम नहीं जानते आईने कहाँ रखें हैं……..!!!
~ अज्ञात
हम तो आँखों में संवरते हैं, वही संवरेंगे, हम नहीं जानते आईने कहाँ रखें हैं……..!!!

अपने जैसी कोई तस्वीर बनानी थी मुझे
मिरे अंदर से सभी रंग तुम्हारे निकले
~ सालिम सलीम
अपने जैसी कोई तस्वीर बनानी थी मुझे मिरे अंदर से सभी रंग तुम्हारे निकले

हमारी तडप तो कुछ भी नहीं है हुजुर,
सुना है कि आपके दिदार के लिए तो आइना भी तरसता है……!!!
~ अज्ञात
हमारी तडप तो कुछ भी नहीं है हुजुर, सुना है कि आपके दिदार के लिए तो आइना भी तरसता है……!!!

शाम ढले ये सोच के बैठे हम अपनी तस्वीर के पास
सारी ग़ज़लें बैठी होंगी अपने अपने मीर के पास
~ साग़र आज़मी
शाम ढले ये सोच के बैठे हम अपनी तस्वीर के पास सारी ग़ज़लें बैठी होंगी अपने अपने मीर के पास
अज्ञात
न जाने कैसी, नजर लगी है, इस जमाने की वजह ही नही मिल रही मुस्कुराने की
View Shayariअज्ञात
“मुझे पता था कि एक दिन तुम जाओगे, फिर भी दिल ने तुम्हें कभी खोने नहीं दिया।”
View Shayariअज्ञात
कई बार जिंदगी में हमें सफर अकेले ही तय करना पड़ता है, चाहे हमारे साथ कितने भी लोग हों।
View Shayariअज्ञात
कभी-कभी खुद को संभालते-संभालते हम अपने ही दिल की आवाज़ सुनना बंद कर देते हैं।
View Shayariफ़रहत एहसास
मैं रोना चाहता हूँ ख़ूब रोना चाहता हूँ मैं फिर उस के बाद गहरी नींद सोना चाहता हूँ मैं
View Shayariफ़ारूक़ शफ़क़
दिन किसी तरह से कट जाएगा सड़कों पे ‘शफ़क़’ शाम फिर आएगी हम शाम से घबराएँगे
View Shayariतेरे हुस्न पे तारीफों भरी किताब लिख देता,
तेरे हुस्न पे तारीफों भरी किताब लिख देता, काश तेरी वफ़ा तेरे हुस्न के बराबर होती…!!
अज्ञातबदला जो वक्त गहरी रफाकत बदल गईं
बदला जो वक्त गहरी रफाकत बदल गईं सूरज ढला तो साए की सूरत बदल गईं एक उम्र तक मैं उसकी जरूरत बना रहा फिर हुआ कि उसकी जरूरत बदल गईं
अज्ञाततेरा ख्याल दिल से मिटाया नहीं अभी,
तेरा ख्याल दिल से मिटाया नहीं अभी, बेवफा मैंने तुझको भुलाया नहीं अभी…!!
अज्ञातइस दुख भरी जिंदगी में कोई भी,
इस दुख भरी जिंदगी में कोई भी, मेरे साथी के साथ दुख बांटने को राजी नहीं है…!!
अज्ञाततेरी तो फितरत थी सबसे मोहब्बत करने की,
तेरी तो फितरत थी सबसे मोहब्बत करने की, हम बेवजह खुद को खुशनसीब समझने लगे…!!
अज्ञातमोहब्बत में ऐसा क्यों होता है,
मोहब्बत में ऐसा क्यों होता है, बेवफाई में वो रोते हैं और वफ़ा में हम रोए हैं…!!
अज्ञात
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"













































