Author Details

Pen Name:'Sahir'
Real Name:Abdul Hai Fazl Mohammad
Born:08 Mar 1921 | Ludhiana, Punjab
Died:25 Oct 1980
Leading progressive Indian poet and celebrated film-lyricist. Popular for his writings against social injustice and backwardness in societyLeading progressive Indian poet and celebrated film-lyricist. Popular for his writings against social injustice and backwardness in society
More Shayari
Motivational Shayari

फूल कर ले निबाह काँटों से,
आदमी ही न आदमी से मिले।
~ ख़ुमार बाराबंकवी
”हम अपने से जलने वालों को भी दुआ दिया करते हैं ताकि उनकी ज़िन्दगी लम्बी हो हमारी कामयाबियाँ देखने के लिए”

फूल कर ले निबाह काँटों से,
आदमी ही न आदमी से मिले।
~ ख़ुमार बाराबंकवी

फूल कर ले निबाह काँटों से,
आदमी ही न आदमी से मिले।
~ ख़ुमार बाराबंकवी

फूल कर ले निबाह काँटों से,
आदमी ही न आदमी से मिले।
~ ख़ुमार बाराबंकवी
अपने हौसले बुलंद कर, मंजिल बहुत करीब है,
बस आगे बढ़ता जा, यह मंजिल ही तेरा नसीब है।
Festival Shayari

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

ऐ काश कोई खुशियों की दुकान होती,
और मुझे उसकी पहचान होती, खरीद
लेता आपके लिए हर एक ख़ुशी,
चाहे उसकी कीमत मेरी जान होती।
~ अज्ञात
ऐ काश कोई खुशियों की दुकान होती, और मुझे उसकी पहचान होती, खरीद लेता आपके लिए हर एक ख़ुशी, चाहे उसकी कीमत मेरी जान होती।
बहार-ए-हुस्न ये दो दिन की चाँदनी है हुज़ूर जो बात अब की बरस है वो पार साल नहीं

क़यामत टूट पड़ती है ज़रा से होंठ हिलने पर,
जाने क्या हस्र होगा जब वो खुलकर मुस्कुरायेंगे…….!!!
~ अज्ञात
क़यामत टूट पड़ती है ज़रा से होंठ हिलने पर, जाने क्या हस्र होगा जब वो खुलकर मुस्कुरायेंगे…….!!!
Funny Shayari
अज्ञात

हम तनहा ही चले थे ज़िंदगी का दही जमाने,
बूंदियां मिलती गयी रायता बनता गया।
~ अज्ञात

दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं
कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं
~ जिगर मुरादाबादी
दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं

तमन्ना हो अगर मिलने की,
तो हाथ रखो दिल पर,
हम धड़कनों में मिल जायेंगे……!!!
~ अज्ञात
तमन्ना हो अगर मिलने की, तो हाथ रखो दिल पर, हम धड़कनों में मिल जायेंगे……!!!

तुम्हारा नाम आया और हम तकने लगे रस्ता
तुम्हारी याद आई और खिड़की खोल दी हम ने
~ मुनव्वर राना
तुम्हारा नाम आया और हम तकने लगे रस्ता तुम्हारी याद आई और खिड़की खोल दी हम ने

तुम जिन्दगी में आ तो गये हो मगर ख्याल रखना,
हम ‘जान’ तो दे देते हैं, मगर ‘जाने’ नहीं देते…..!!!
~ अज्ञात
तुम जिन्दगी में आ तो गये हो मगर ख्याल रखना, हम ‘जान’ तो दे देते हैं, मगर ‘जाने’ नहीं देते…..!!!

कुछ सोचता हूं तो तेरा ख्याल आ जाता है
कुछ बोलता हूं तो तेरा नाम आ जाता है
कब तक छुपा के रखूं दिल की बात को
तेरी हर अदा पर मुझे प्यार आ जाता है !
~ अज्ञात
कुछ सोचता हूं तो तेरा ख्याल आ जाता है कुछ बोलता हूं तो तेरा नाम आ जाता है कब तक छुपा के रखूं दिल की बात को तेरी हर अदा पर मुझे प्यार आ जाता है !
अज्ञात
दिल चाहता है कि तुझसे फिर मुलाकात हो, पर ये ख्वाब अब सिर्फ ख्वाब ही रह गया है।
View Shayariख़ुमार बाराबंकवी
ग़म है न अब ख़ुशी है न उम्मीद है न यास सब से नजात पाए ज़माने गुज़र गए
View Shayariअज्ञात
तेरी यादों का दर्द इस दिल में बसा है, तू दूर है, पर दिल अब भी तेरे पास ही रहता है।
View Shayariअज्ञात
“तुम्हारे बिना ये दिल भी अब धड़कने को तैयार नहीं है, क्योंकि तुमसे ही मेरी ज़िन्दगी थी।”
View Shayariअज्ञात
लोग इंसान देख कर प्यार करते हैं मैने प्यार करके एक इंसान को देख लिया।
View Shayariअज्ञात
जिंदगी के इस खेल में हम हर बार हारे हैं, कभी खुद से, तो कभी किस्मत से।
View Shayariतूने ही लगा दिया इलज़ाम-ए-बेवफाई,
तूने ही लगा दिया इलज़ाम-ए-बेवफाई, अदालत भी तेरी थी गवाह भी तू ही थी…!!
अज्ञातना पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक हैं,
ना पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक हैं, तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक हैं, वफ़ा की उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी, हमें तो देखना है, तू बेवफ़ा कहाँ तक हैं।
अज्ञातसबको समझते समझते मैं खुद समझ गया,
सबको समझते समझते मैं खुद समझ गया, कोई नहीं मिलेगा मुझे समझने वाला…!!
अज्ञातप्यार में मेरा इस कदर टूटना तो लाजमी था,
प्यार में मेरा इस कदर टूटना तो लाजमी था, काँच का दिल था और मोहब्बत पत्थर से की थी।
अज्ञातआइए बे-झिझक कहिये
आइए बे-झिझक कहिये बेवफ़ा मुझ को … मैं अब तुम्हारे बारे में कम कम सोचता हूँ…
अज्ञाततू बेवफा है, ये मेने अब जान लिया है,
तू बेवफा है, ये मेने अब जान लिया है, दिल के दर्द को तूने बदनाम किया है।
अज्ञातअब मैं तुम्हें कैसे समझाऊं,
अब मैं तुम्हें कैसे समझाऊं, की तुम्हारे बिना मैं मर तो सकता हूं, लेकिन जी नहीं सकता…!!
अज्ञातदर्द इतना है कि रूह तक जख्मी है,
दर्द इतना है कि रूह तक जख्मी है, तेरी बेवफ़ाई का असर अभी तक नमी है…!!
अज्ञात
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❤️ दिल से शायरी ❤️
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Some Facts
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Writing Shayari as a journaling exercise improved emotional intelligence by 25% in individuals over a six-month period.
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Platforms like Instagram and YouTube see over 30% higher engagement on posts with Shayari compared to regular content.
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🌟 शायरी का जादू 🌟
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❤️ अपनी भावनाओं को शायरी में ढालें ❤️
शायरी, वो कला है जो दिल से निकल कर सीधे दिल तक पहुंचती है। हर शब्द में छुपा है अनकही कहानियों का खजाना। आइए, अपने जज़्बातों को खूबसूरत अल्फाज़ों में बदलें।

शायरी के फायदे:
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"