Author Details

Pen Name:'Shakeel'
Real Name:Shakiil Ahmed
Born:03 Aug 1916 | Badayun, Uttar pradesh
Died:20 Apr 1970 | Mumbai, Maharashtra
Famous poet and film lyricistFamous poet and film lyricist
ग़म के पीछो रास्त कहते हैं कि शादी होवे है
हज़रत-ए-रमज़ां गए तशरीफ़ ले अब ईद है
करो कज जबीं पे सर-ए-कफ़न मिरे क़ातिलों को गुमाँ न हो
कि ग़ुरूर-ए-इश्क़ का बाँकपन पस-ए-मर्ग हम ने भुला दिया
ये कू-ए-मय-फ़रोश में रौला हुआ कि रात
दहशत से वाँ ठहर न सका पा-ए-मोहतसिब
अज़ाब-ए-दानिश-ए-हाज़िर से बा-ख़बर हूँ मैं
कि मैं इस आग में डाला गया हूँ मिस्ल-ए-ख़लील
More Shayari
Motivational Shayari

ताब-ओ-ताक़त रहे क्या ख़ाक कि आज़ा के तईं
हाकिम-ए-ज़ोफ़ से फ़रमान-ए-तग़ईरी आया
~ Mushafi Ghulam Hamdani
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले,
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है।

ताब-ओ-ताक़त रहे क्या ख़ाक कि आज़ा के तईं
हाकिम-ए-ज़ोफ़ से फ़रमान-ए-तग़ईरी आया
~ Mushafi Ghulam Hamdani
शिद्दत-ए-तिश्नगी में भी ग़ैरत-ए-मय-कशी रही
उस ने जो फेर ली नज़र मैं ने भी जाम रख दिया

ताब-ओ-ताक़त रहे क्या ख़ाक कि आज़ा के तईं
हाकिम-ए-ज़ोफ़ से फ़रमान-ए-तग़ईरी आया
~ Mushafi Ghulam Hamdani
चला जाता हूँ हँसता खेलता मौज-ए-हवादिस से,
अगर आसानियाँ हों ज़िंदगी दुश्वार हो जाए।

ताब-ओ-ताक़त रहे क्या ख़ाक कि आज़ा के तईं
हाकिम-ए-ज़ोफ़ से फ़रमान-ए-तग़ईरी आया
~ Mushafi Ghulam Hamdani
मत खुद को रोक,
सही रास्ते पर चल,
मंज़िल खुद-ब-खुद तुम्हारे सामने आएगी।
बस कोशिश तो कर।
Festival Shayari

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

“बिजली इक कौंध गयी आँखों के आगे तो क्या,
बात करते कि मैं लब तश्न-ए-तक़रीर भी था।…”
~ मिर्ज़ा ग़ालिब
“बिजली इक कौंध गयी आँखों के आगे तो क्या, बात करते कि मैं लब तश्न-ए-तक़रीर भी था।…”
मेरी ख़ुशी के लम्हे इस कदर, मुख़्तसर हैं फ़राज़, अभी मुजरा शुरू ही हुआ था, के छापा पड़ गया!
तेरा ATTITUDE मेरे सामने CHILLER है, क्योंकि मेरी SMILE ही कुछ ज्यादा KILLER है।

ना खुशियों की कमी हो, ना मुस्कुराहटों की कमी हो,
तारों से सजा आसमा आपका, फूलों से सजी जमीं हो,
कभी ना आये आपकी इन प्यारी आंखो मे आंसू,
भीगे पलके अगर आपकी तो वो सिर्फ खुशियों की नमी हो।
आपको जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई!
~ अज्ञात
ना खुशियों की कमी हो, ना मुस्कुराहटों की कमी हो, तारों से सजा आसमा आपका, फूलों से सजी जमीं हो, कभी ना आये आपकी इन प्यारी आंखो मे आंसू, भीगे पलके अगर आपकी तो वो सिर्फ खुशियों की नमी हो। आपको जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई!
Funny Shayari
अज्ञात

ऐसा कुछ था उसके होठों पर,
इसलिए तो शर्माती थी,
हँसने के बाद पता चला,
कमबख्त तम्बाकू खाती थी!
~ अज्ञात

एक चेहरा है जो आँखों में बसा रहता है
इक तसव्वुर है जो तन्हा नहीं होने देता
~ जावेद नसीमी
एक चेहरा है जो आँखों में बसा रहता है इक तसव्वुर है जो तन्हा नहीं होने देता

ख़याल आया तो आपका आया,
आँखे बंद की तो ख्वाब आपका आया,
सोचा कि याद क रलूँ खुदा को पल दो पल,
पर होंठ खुले तो नाम आपका आया……!!!
~ अज्ञात
ख़याल आया तो आपका आया, आँखे बंद की तो ख्वाब आपका आया, सोचा कि याद क रलूँ खुदा को पल दो पल, पर होंठ खुले तो नाम आपका आया……!!!

आँखों में ना हमको ढूंढो सनम,
दिल में हम बस जाएंगे,
तमन्ना है अगर मिलने की तो,
बंद आँखों में भी हम नज़र आएंगे……..!!!
~ अज्ञात
आँखों में ना हमको ढूंढो सनम, दिल में हम बस जाएंगे, तमन्ना है अगर मिलने की तो, बंद आँखों में भी हम नज़र आएंगे……..!!!

कह दो अपने दांतों को, क़ि हद में रहें,
तेरे लबों पे बस मेरे लबों का हक़ है……!!!
~ अज्ञात
कह दो अपने दांतों को, क़ि हद में रहें, तेरे लबों पे बस मेरे लबों का हक़ है……!!!

छुपा लूंगा तुझे इस तरह से मेरी बाहों में,
हवा भी गुज़रने के लिए इज़ाज़त मांगे,
हो जाऊं तेरे इश्क़ में मदहोश इस तरह,
कि होश भी वापस आने के इज़ाज़त मांगे…..!!!
~ अज्ञात
छुपा लूंगा तुझे इस तरह से मेरी बाहों में, हवा भी गुज़रने के लिए इज़ाज़त मांगे, हो जाऊं तेरे इश्क़ में मदहोश इस तरह, कि होश भी वापस आने के इज़ाज़त मांगे…..!!!
अज्ञात
सच्चा प्यार केवल दो,पल के लिए ही होता हैं, पर जख्म सालों के,लिए दे जाता हैं..
View Shayariअज्ञात
आंसू कहां समझते हैं फासलों को, जब याद तुम्हारी आती है, तो बस निकल ही आते हैं।
View Shayariअज्ञात
“दिल से खेलने वाले अक्सर मुस्कुराकर चले जाते हैं, और हम उन्हें दिल से निभाते रहते हैं।”
View Shayariक़ैसर-उल जाफ़री
दीवारों से मिल कर रोना अच्छा लगता है हम भी पागल हो जाएँगे ऐसा लगता है
View Shayariइफ़्तिख़ार नसीम
मुझ से नफ़रत है अगर उस को तो इज़हार करे कब मैं कहता हूँ मुझे प्यार ही करता जाए
View Shayariअज्ञात
“दिल से रोये मगर होंठों से मुस्कुरा बैठे, यूं ही हम किसी से वफा निभा बैठे।”
View Shayariतू बेवफा है, ये मेने अब जान लिया है,
तू बेवफा है, ये मेने अब जान लिया है, दिल के दर्द को तूने बदनाम किया है।
अज्ञातनादाँ और नासमझं से कभी दिल ना लगाना,
नादाँ और नासमझं से कभी दिल ना लगाना, वरना फालतू में पड़ेगा तुमको पछताना, नहीं जानते वो प्यार की कीमत क्या होती है, उनकी तो आदत ही होती है हर किसी से दिल लगाना।
अज्ञाततेरी बेवफाई में भी एक सबक था,
तेरी बेवफाई में भी एक सबक था, जो हर खुशी से ज्यादा कीमती था।
अज्ञातबेवफा की याद में, रातें कटती हैं,
बेवफा की याद में, रातें कटती हैं, उसकी याद में अक्सर, आंखें भीगती हैं।
अज्ञातग़लत-रवी को तिरी मैं ग़लत समझता हूँ
ग़लत-रवी को तिरी मैं ग़लत समझता हूँ ये बेवफ़ाई भी शामिल मिरी वफ़ा में है
आसिम वास्तीतुम किसी के भी हो नहीं सकते
तुम किसी के भी हो नहीं सकते तुम को अपना बना के देख लिया
अमीर रज़ा मज़हरीबहुत दर्द देती है आज भी वो यादें,
बहुत दर्द देती है आज भी वो यादें, जिन यादों में तुम नजर आते हो…!!
अज्ञातमेरे अलावा उसे ख़ुद से भी मोहब्बत है
मेरे अलावा उसे ख़ुद से भी मोहब्बत है और ऐसा करने से वो बेवफ़ा नहीं होती
बालमोहन पांडेय
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"