Destination Shayari – Express Your Feelings
Explore the best Destination Shayari to express your emotions. Whether you’re feeling destination, or want to share these feelings with others, you’ll find the perfect words here. All Shayari are handpicked for quality and originality.
Why choose Destination Shayari?
✓ Curated for this emotion
✓ Easy to share and save
✓ Updated regularly
✓ Connect with others through poetry
Frequently Asked Questions (FAQ)
What is Destination Shayari?
Destination Shayari is poetry focused on the emotion of destination. It helps you express and share your feelings in a beautiful way.
How do I use these Shayari?
You can read, share, or save any Shayari. Use them in messages, social media, or just for inspiration.
Are these Shayari original?
We strive to provide only original and high-quality Shayari, curated for each emotion and topic.
destination Shayari
रौशन है आफ़्ताब की निस्बत चराग़ से
निस्बत वही है आप में और आफ़्ताब में
~ Ismail Meerthiकहते हैं सब देख कर बेताब मेरा उज़्व उज़्व
आदमी अब तक नहीं देखा कहीं सीमाब का
~ Munir Shikohabadiसाथ हो हमेशा, राहों में चमकीली रौशनी हो,
दोस्ती बनी रहे ये पल, जीवन की सबसे प्यारी कहानी हो!
~ अज्ञातकई चाँद थे सर-ए-आसमाँ कि चमक चमक के पलट गए
न लहू मिरे ही जिगर में था न तुम्हारी ज़ुल्फ़ सियाह थी
~ Ahmed Mushtaqकिसी दिन तो होगी रोशन मेरी भी जिंदगी
मुझे इंतजार सुबह का नहीं आपकी रहमत का है !!
~ अज्ञातमेरी शख्सियत इतनी रोशन है,
कि तुम अंधेरे में रह जाओगे,
इसलिए मुझसे टकराना बिलकुल मत,
बुरी तरह पछताओगे।
~ अज्ञातसब का तो मुदावा कर डाला अपना ही मुदावा कर न सके
सब के तो गरेबाँ सी डाले अपना ही गरेबाँ भूल गए
गो हाथ को जुम्बिश नहीं आँखों में तो दम है
रहने दो अभी साग़र-ओ-मीना मिरे आगे
नहीं आता मुझ पर प्यार, अक्ल से पैदल हो क्या,
हर बात पर मुंह बनाती हो छोटी बच्ची हो क्या !
रोज़ा रखता हूँ सुबूही पी के हंगाम-ए-सहर
शाम को मस्जिद में होता हूँ जमाअत का शरीक
More Shayari
Motivational Shayari

जो यकीन के राह पर चल पड़े, उन्हें मंजिलों ने पनाह दी,
अगर खुद पर यकीन है तो मंजिल मिलना तो तय ही मानिए।
~ अज्ञात

जो यकीन के राह पर चल पड़े, उन्हें मंजिलों ने पनाह दी,
अगर खुद पर यकीन है तो मंजिल मिलना तो तय ही मानिए।
~ अज्ञात

जो यकीन के राह पर चल पड़े, उन्हें मंजिलों ने पनाह दी,
अगर खुद पर यकीन है तो मंजिल मिलना तो तय ही मानिए।
~ अज्ञात

जो यकीन के राह पर चल पड़े, उन्हें मंजिलों ने पनाह दी,
अगर खुद पर यकीन है तो मंजिल मिलना तो तय ही मानिए।
~ अज्ञात
बे-ज़बानी तर्जुमान-ए-शौक़ बेहद हो तो हो
वर्ना पेश-ए-यार काम आती है तक़रीरें कहीं
Festival Shayari

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

हर पल आपका खुशियों से सजाया है,
बडी फूर्सत से खुदा ने आपको बनाया है,
रहे सदा सलामत आप और आपकी खुशियाँ,
यही हर दुआ में हमने खुदा को बताया है।
~ अज्ञात
हर पल आपका खुशियों से सजाया है, बडी फूर्सत से खुदा ने आपको बनाया है, रहे सदा सलामत आप और आपकी खुशियाँ, यही हर दुआ में हमने खुदा को बताया है।
हमारे आंसूं पोंछ कर वो मुस्कुराते हैं, उनकी इस अदा से वो दिल को चुराते हैं, हाथ उनका छू जाये हमारे चेहरे को, इसी उम्मीद में हम खुद को रुलाते हैं…….!!!

झोली उनकी खुशियों से भर जाती है,
जिनके दिल में शिव शक्ति बस जाती है !!
~ अज्ञात
झोली उनकी खुशियों से भर जाती है, जिनके दिल में शिव शक्ति बस जाती है !!
Funny Shayari
अज्ञात

ताजमहल ना बना पाओ तो कोई नहीं,
मगर मुमताज हर जगह बनाते रहना!
~ अज्ञात

तु मिल गई है तो मुझ पे नाराज है खुदा,
कहता है की तु अब कुछ माँगता नहीं है…..!!!
~ अज्ञात
तु मिल गई है तो मुझ पे नाराज है खुदा, कहता है की तु अब कुछ माँगता नहीं है…..!!!

तुम्हारा प्यार मेरे लिए वो राग है
जो मेरे दिल में बजता है,
वह लय है जो मेरी आत्मा में धड़कता है।
~ अज्ञात
तुम्हारा प्यार मेरे लिए वो राग है जो मेरे दिल में बजता है, वह लय है जो मेरी आत्मा में धड़कता है।

शान से हम तेरे दिल में रहेंगे,
तेरी मोहब्बत पे जान निसार करेंगे,
देख के जलेंगी हमे दुनिया सारी,
इस कदर बे-पनाह तुझे प्यार करेंगे……!!!
~ अज्ञात
शान से हम तेरे दिल में रहेंगे, तेरी मोहब्बत पे जान निसार करेंगे, देख के जलेंगी हमे दुनिया सारी, इस कदर बे-पनाह तुझे प्यार करेंगे……!!!

यूँ तिरी याद में दिन रात मगन रहता हूँ
दिल धड़कना तिरे क़दमों की सदा लगता है
~ शहज़ाद अहमद
यूँ तिरी याद में दिन रात मगन रहता हूँ दिल धड़कना तिरे क़दमों की सदा लगता है

कह दो अपने दांतों को, क़ि हद में रहें,
तेरे लबों पे बस मेरे लबों का हक़ है……!!!
~ अज्ञात
कह दो अपने दांतों को, क़ि हद में रहें, तेरे लबों पे बस मेरे लबों का हक़ है……!!!
अज्ञात
कम नहीं हैं, आँसू मेरी आँखों में, मगर रोता नहीं कि, उनमें उसकी तस्वीर दिखती है
View ShayariMushafi Ghulam Hamdani
यक क़तरा ख़ूँ बग़ल में है दिल मिरी सो इस को पलकों से तेरी ख़ातिर क्यूँकर निचोड़ डालूँ
View Shayariअज्ञात
जब हुआ ज़िक्र ज़माने में मोहब्बत का ‘शकील’ मुझ को अपने दिल-ए-नाकाम पे रोना आया
View Shayariवसी शाह
इस जुदाई में तुम अंदर से बिखर जाओगे किसी मा’ज़ूर को देखोगे तो याद आऊँगा
View Shayariअज्ञात
हर किसी को नहीं मिलती यहां सच्ची खुशी, कई बार जिंदगी में बस ग़म ही हमारे साथी होते हैं।
View Shayariमिल जायेगा हमे भी कोई चाहने वाला
मिल जायेगा हमे भी कोई चाहने वाला अब सारा शहर तो बेवफा नही हो सकता !!
अज्ञातये क्या कि तुम ने जफ़ा से भी हाथ खींच लिया
ये क्या कि तुम ने जफ़ा से भी हाथ खींच लिया मिरी वफ़ाओं का कुछ तो सिला दिया होता
अब्दुल हमीद अदमवो बेवफा है, ये जानते हुए भी उसे चाहा,
वो बेवफा है, ये जानते हुए भी उसे चाहा, इश्क में ये दिल अक्सर खुद से ही हारा।
अज्ञातदिल का दरिया था, बहते चला गया,
दिल का दरिया था, बहते चला गया, दर्द की लहरों में खुद को तू बहा गया…!!
अज्ञातमिल जाए जब औरो से फुरसत तो जरा सोचना
मिल जाए जब औरो से फुरसत तो जरा सोचना क्या सिर्फ फुरसतो में याद करने का रिश्ता है हमसे
अज्ञातमुझसे मेरी वफ़ा का सबूत मांग रहा है,
मुझसे मेरी वफ़ा का सबूत मांग रहा है, खुद बेवफ़ा हो के मुझसे वफ़ा मांग रहा है…!!
अज्ञात
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"












































