Mosque Shayari – Express Your Feelings
Explore the best Mosque Shayari to express your emotions. Whether you’re feeling mosque, or want to share these feelings with others, you’ll find the perfect words here. All Shayari are handpicked for quality and originality.
Why choose Mosque Shayari?
✓ Curated for this emotion
✓ Easy to share and save
✓ Updated regularly
✓ Connect with others through poetry
Frequently Asked Questions (FAQ)
What is Mosque Shayari?
Mosque Shayari is poetry focused on the emotion of mosque. It helps you express and share your feelings in a beautiful way.
How do I use these Shayari?
You can read, share, or save any Shayari. Use them in messages, social media, or just for inspiration.
Are these Shayari original?
We strive to provide only original and high-quality Shayari, curated for each emotion and topic.
mosque Shayari
कई चाँद थे सर-ए-आसमाँ कि चमक चमक के पलट गए
न लहू मिरे ही जिगर में था न तुम्हारी ज़ुल्फ़ सियाह थी
~ Ahmed Mushtaqकहते हैं सब देख कर बेताब मेरा उज़्व उज़्व
आदमी अब तक नहीं देखा कहीं सीमाब का
~ Munir Shikohabadiऐसा चेहरा है तेरा जैसा रोशन सवेरा
जिस जगह तू नहीं है उस जगह है अँधेरा
कैसे फिर चैन तुझ बिन तेरे बदनाम लेंगे
हुस्न की बात चली तो सब तेरा नाम लेंगे!!!
~ अज्ञातबड़े ताबाँ बड़े रौशन सितारे टूट जाते हैं
सहर की राह तकना ता सहर आसाँ नहीं होता
~ Ada Jaffreyसाथ हो हमेशा, राहों में चमकीली रौशनी हो,
दोस्ती बनी रहे ये पल, जीवन की सबसे प्यारी कहानी हो!
~ अज्ञातहोवेगी सुब्ह रौशन इक दम में वस्ल की शब
बंद-ए-क़बा को अपने ज़ालिम न बाज़ करना
~ Mushafi Ghulam Hamdaniफिर और तग़ाफ़ुल का सबब क्या है ख़ुदाया
मैं याद न आऊँ उन्हें मुमकिन ही नहीं है
उस को रुख़्सत तो किया था मुझे मालूम न था
सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला
अब याद-ए-रफ़्तगाँ की भी हिम्मत नहीं रही
यारों ने कितनी दूर बसाई हैं बस्तियाँ
कोई बुत-ख़ाने को जाता है कोई काबे को
फिर रहे गब्र ओ मुसलमाँ हैं तिरी घात में क्या
ये किस ख़ता पे रूठ गई चश्म-ए-इल्तिफ़ात
ये कब का इंतिक़ाम लिया मुझ ग़रीब से
More Shayari
Motivational Shayari

तेग़-बाज़ी का शौक़ अपनी जगह
आप तो क़त्ल-ए-आम कर रहे हैं
~ john elia

तेग़-बाज़ी का शौक़ अपनी जगह
आप तो क़त्ल-ए-आम कर रहे हैं
~ john elia

तेग़-बाज़ी का शौक़ अपनी जगह
आप तो क़त्ल-ए-आम कर रहे हैं
~ john elia
जब टूटने लगे हौंसला तो बस ये याद रखना,
बिना मेहनत के हासिल तख़्त-ओ-ताज नहीं होते,
ढूढ़ लेना अंधेरे में ही मंजिल अपनी दोस्तों,
क्योंकि जुगनू कभी रोशनी के मोहताज़ नहीं होते।

तेग़-बाज़ी का शौक़ अपनी जगह
आप तो क़त्ल-ए-आम कर रहे हैं
~ john elia
मेरी वो हिम्मत है, मेरा वो सहारा है,
दोस्त मेरा मुझे मेरी जान से भी प्यारा है!
Festival Shayari

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

तुम्हारा हिज्र मना लूँ अगर इजाज़त हो
मैं दिल किसी से लगा लूँ अगर इजाज़त हो
~ जौन-एलिया
तुम्हारा हिज्र मना लूँ अगर इजाज़त हो मैं दिल किसी से लगा लूँ अगर इजाज़त हो

जो भोले की भक्ति करेगा अपार आनंद पाएगा
मोह माया का क्या है यह सब तो यही रह जाएगा..!!
~ अज्ञात
जो भोले की भक्ति करेगा अपार आनंद पाएगा मोह माया का क्या है यह सब तो यही रह जाएगा..!!
Funny Shayari
अज्ञात

तेरा प्यार पाने के लिये मैंने कितना इंतजार किया,
और उस इंतजार में उसने कितने लोगों से प्यार किया…!
~ अज्ञात

यूँ तो बहुत से हैं रास्तें, मुझ तक पहुंचने के,
राह-ऐ-मोहब्बत से आना, फासला कम पड़ेगा……!!!
~ अज्ञात
यूँ तो बहुत से हैं रास्तें, मुझ तक पहुंचने के, राह-ऐ-मोहब्बत से आना, फासला कम पड़ेगा……!!!

न जाने क्या कशिश है,
उनकी मदहोश आँखों में,
नज़र अंदाज़ जितना करो,
नज़र उन्हीं पे ही पड़ती है…….!!!
~ अज्ञात
न जाने क्या कशिश है, उनकी मदहोश आँखों में, नज़र अंदाज़ जितना करो, नज़र उन्हीं पे ही पड़ती है…….!!!

इस क़दर भी तो न जज़्बात पे क़ाबू रक्खो
थक गए हो तो मिरे काँधे पे बाज़ू रक्खो
~ इफ़्तिख़ार नसीम
इस क़दर भी तो न जज़्बात पे क़ाबू रक्खो थक गए हो तो मिरे काँधे पे बाज़ू रक्खो

तेरी ख़ामोशी और नज़रे हमेशा ये गुनगुनाती है,
तू मेरा, मैं तेरी, बस यही आवाज़ आती है।
~ अज्ञात
तेरी ख़ामोशी और नज़रे हमेशा ये गुनगुनाती है, तू मेरा, मैं तेरी, बस यही आवाज़ आती है।

हकीकत कहो तो उन्हें ख्वाब लगता है,
संजीदा रहो तो उन्हें मज़ाक लगता है,
कितनी शिद्दत से उन्हें याद करते हैं,
वो हैं जिन्हें ये सब कुछ मजाक लगता है।
~ अज्ञात
हकीकत कहो तो उन्हें ख्वाब लगता है, संजीदा रहो तो उन्हें मज़ाक लगता है, कितनी शिद्दत से उन्हें याद करते हैं, वो हैं जिन्हें ये सब कुछ मजाक लगता है।
Hasrat Mohani
ग़म-ए-आरज़ू का 'हसरत' सबब और क्या बताऊँ मिरी हिम्मतों की पस्ती मिरे शौक़ की बुलंदी
View Shayariअज्ञात
“दिल के हर कोने में बस तुम्हारी यादें हैं, जिन्हें अब कोई नहीं छू सकता।”
View Shayariअज्ञात
तू दूर है फिर भी हर लम्हा मेरे साथ है, तेरी कमी को ये दिल हर पल महसूस करता है।
View Shayariहांथ पैरपै मुंहमुं नाक से ले कर दादा दादी चाचा चाची बहन भाई रोना हंसहं ना तक सिखाती है।है
वो एक मां हीं है जो अपने बच्चेको एक गुरु के लायक बनाती है।।है
~ अज्ञातये सोच के माँ बाप की ख़िदमत में लगा हूँ
इस पेड़ का साया मिरे बच्चों को मिलेगा
~ Munawwar Ranaसफर में था जो साथी मेरा, वो बेवफा निकला,
सफर में था जो साथी मेरा, वो बेवफा निकला, दर्द का ये सिलसिला, अब तक नहीं रुका।
अज्ञाततेरी बेवफाई का सौ बार शुक्रिया,
तेरी बेवफाई का सौ बार शुक्रिया, मेरी जान छूटी इश्क़-ऐ-बवाल से…!!
अज्ञातहम से क्या हो सका मोहब्बत में
हम से क्या हो सका मोहब्बत में ख़ैर तुम ने तो बेवफ़ाई की
फ़िराक़ गोरखपुरीअगर तुम्हें भी प्यार होता,
अगर तुम्हें भी प्यार होता, तो तुम मेरे पास जरूर आते, माना की मैं प्यार में पागल हूं, लेकिन भिखारी नहीं हूं…!!
अज्ञातकभी फुर्सत मिले तो इतना जरुर बताना,
कभी फुर्सत मिले तो इतना जरुर बताना, वो कौन सी मोहब्बत थी जो हम तुम्हें दे ना सकें…!!
अज्ञातटूटे ख्वाबों के सहारे, जी रहा हूं मैं,
टूटे ख्वाबों के सहारे, जी रहा हूं मैं, तेरी बेवफाई ने, जीना मुहाल कर दिया।
अज्ञात
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"












































