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जब से मिला हूँ तुझसे, जीवन रंगीन हो गया,
तू है मेरा सच्चा दोस्त, दिल से ये कहूँ तुझसे।
ज़े-हाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल दुराय नैनाँ बनाए बतियाँ
कि ताब-ए-हिज्राँ नदारम ऐ जाँ न लेहू काहे लगाए छतियाँ
सख़्ती-ए-दहर हुए बहर-ए-सुख़न में आसाँ
क़ाफ़िए आए जो पत्थर के मैं पानी समझा
एक बिदेसी नार की मोहनी सूरत हम को भाई
और वो पहली नार थी भय्या जो निकली हरजाई
जनाब वजह यूँ तो कई है
गम में डूब जाने की,
पर हमने एक वजह चुनी है
उसमे मुस्कुराने की।
More Shayari
Motivational Shayari

अगर तुम चलने के लिए तैयार हो,
तो मंजिल तुम्हारे सामने झुकने के लिए तैयार हो जायेगी।
~ अज्ञात

अगर तुम चलने के लिए तैयार हो,
तो मंजिल तुम्हारे सामने झुकने के लिए तैयार हो जायेगी।
~ अज्ञात
मुश्किल नहीं है कुछ दुनिया में,
तू जरा हिम्मत तो कर,
ख्वाब बदलेंगे हकीकत में,
तू ज़रा कोशिश तो कर।

अगर तुम चलने के लिए तैयार हो,
तो मंजिल तुम्हारे सामने झुकने के लिए तैयार हो जायेगी।
~ अज्ञात
दिल में न हो जुरअत तो मोहब्बत नहीं मिलती
ख़ैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती

अगर तुम चलने के लिए तैयार हो,
तो मंजिल तुम्हारे सामने झुकने के लिए तैयार हो जायेगी।
~ अज्ञात
Festival Shayari

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

वो सरख़ुशी दे कि ज़िंदगी को शबाब से बहर-याब कर दे
मिरे ख़यालों में रंग भर दे मिरे लहू को शराब कर दे
~ Hafeez Jalandhari
वो सरख़ुशी दे कि ज़िंदगी को शबाब से बहर-याब कर दे मिरे ख़यालों में रंग भर दे मिरे लहू को शराब कर दे
ऐ मौज-ए-बला उन को भी ज़रा दो चार थपेड़े हल्के से, कुछ लोग अभी तक साहिल से तूफ़ाँ का नज़ारा करते हैं।
Funny Shayari
अज्ञात

इश्क में कह रही थी फन्नाह होने को,
मैंने भी कह दिया अपना गंदा मुंह लेकर दफा हो जाने को!
~ अज्ञात

हमारी तडप तो कुछ भी नहीं है हुजुर,
सुना है कि आपके दिदार के लिए तो आइना भी तरसता है……!!!
~ अज्ञात
हमारी तडप तो कुछ भी नहीं है हुजुर, सुना है कि आपके दिदार के लिए तो आइना भी तरसता है……!!!

तलब ये कि तुम मिल जाओ,
हसरत ये कि उम्र भर के लिये……!!!
~ अज्ञात
तलब ये कि तुम मिल जाओ, हसरत ये कि उम्र भर के लिये……!!!

पूछते थे ना कितना प्यार है हमें तुम से,
लो अब गिन लो… ये बूँदें बारिश की……!!!
~ अज्ञात
पूछते थे ना कितना प्यार है हमें तुम से, लो अब गिन लो… ये बूँदें बारिश की……!!!

मुझे तेरा साथ हम उम्र नहीं चाहिए,
बल्कि, जब तक तू साथ है,
तब तक जिंदगी चाहिए।
~ अज्ञात
मुझे तेरा साथ हम उम्र नहीं चाहिए, बल्कि, जब तक तू साथ है, तब तक जिंदगी चाहिए।

चांद रोज़ छत पर आकर इतराता बहुत था,
कल रात मैंने भी उसे तेरी तस्वीर दिखा दी……..!!!
~ अज्ञात
चांद रोज़ छत पर आकर इतराता बहुत था, कल रात मैंने भी उसे तेरी तस्वीर दिखा दी……..!!!
अज्ञात
“दिल से खेलना हमें आता नहीं, इसलिए किसी को धोखा देना हमारा काम नहीं।”
View Shayariअज्ञात
मोहब्बत तो की थी, पर अब समझ आया कि प्यार के बिना जिंदगी अधूरी होती है।”
View Shayariअख़्तर सईद ख़ान
किसी के तुम हो किसी का ख़ुदा है दुनिया में मिरे नसीब में तुम भी नहीं ख़ुदा भी नहीं
View Shayariअख़्तर शीरानी
उठते नहीं हैं अब तो दुआ के लिए भी हाथ किस दर्जा ना-उमीद हैं परवरदिगार से
View Shayariअज्ञात
ज़मीन-ए-दिल पे मोहब्बत की आब-यारी को बहुत ही टूट के बरसी घटा उदासी की
View Shayariमैं सच्चे इश्क की किताब पढ़ रहा हूँ
मैं सच्चे इश्क की किताब पढ़ रहा हूँ और तुम बेवफा हो तुम्हारा मुँह छिपा लेना तो लाजमी है..!!
अज्ञातसजाए थे ख्वाबों का शहर, तूने एक पल में तोड़ दिया,
सजाए थे ख्वाबों का शहर, तूने एक पल में तोड़ दिया, तेरी बेवफाई से पहले, ये दिल कितना मजबूत था।
अज्ञातउमीद उन से वफ़ा की तो ख़ैर क्या कीजे
उमीद उन से वफ़ा की तो ख़ैर क्या कीजे जफ़ा भी करते नहीं वो कभी जफ़ा की तरह
आतिश बहावलपुरीहम तो इन्तेजार करते करते
हम तो इन्तेजार करते करते अब मर जायेंगे कोइ तो आए एसा जिन्दगी में जो बेवफा ना हो
अज्ञातदिल की बातों को कैसे तू समझे,
दिल की बातों को कैसे तू समझे, अब तो तू ही है वजह, हमारी हर बेवफाई की…!!
अज्ञातमुझको बेवफा कहने वाले खुदा करे तुझे भी,
मुझको बेवफा कहने वाले खुदा करे तुझे भी, तुझसा ही वफादार मिले…!!
अज्ञातअब मैंने खुद का धयान रखना शुरू कर दिया है,
अब मैंने खुद का धयान रखना शुरू कर दिया है, क्योंकि धयान रखने वाले अब बदल चुके है…!!
अज्ञात
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❤️ दिल से शायरी ❤️
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Some Facts
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25%
Writing Shayari as a journaling exercise improved emotional intelligence by 25% in individuals over a six-month period.
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🌟 शायरी का जादू 🌟
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शायरी क्यों खास है:
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❤️ अपनी भावनाओं को शायरी में ढालें ❤️
शायरी, वो कला है जो दिल से निकल कर सीधे दिल तक पहुंचती है। हर शब्द में छुपा है अनकही कहानियों का खजाना। आइए, अपने जज़्बातों को खूबसूरत अल्फाज़ों में बदलें।

शायरी के फायदे:
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"













































