Mirza-galib Shayari – Express Your Feelings
Explore the best Mirza-galib Shayari to express your emotions. Whether you’re feeling mirza-galib, or want to share these feelings with others, you’ll find the perfect words here. All Shayari are handpicked for quality and originality.
Why choose Mirza-galib Shayari?
✓ Curated for this emotion
✓ Easy to share and save
✓ Updated regularly
✓ Connect with others through poetry
Frequently Asked Questions (FAQ)
What is Mirza-galib Shayari?
Mirza-galib Shayari is poetry focused on the emotion of mirza-galib. It helps you express and share your feelings in a beautiful way.
How do I use these Shayari?
You can read, share, or save any Shayari. Use them in messages, social media, or just for inspiration.
Are these Shayari original?
We strive to provide only original and high-quality Shayari, curated for each emotion and topic.
mirza-galib Shayari
सुब्ह-ए-रौशन को अंधेरों से भरी शाम न दे
दिल के रिश्ते को मिरी जान कोई नाम न दे
~ Amita Parasuram Mitaनमाज़ शुक्र की पढ़ता है जाम तोड़ के शैख़
वुज़ू के वास्ते लेता है आबरू-ए-शराब
~ Munir Shikohabadiरौशन है आफ़्ताब की निस्बत चराग़ से
निस्बत वही है आप में और आफ़्ताब में
~ Ismail Meerthiकहते हैं सब देख कर बेताब मेरा उज़्व उज़्व
आदमी अब तक नहीं देखा कहीं सीमाब का
~ Munir Shikohabadiऐसा चेहरा है तेरा जैसा रोशन सवेरा
जिस जगह तू नहीं है उस जगह है अँधेरा
कैसे फिर चैन तुझ बिन तेरे बदनाम लेंगे
हुस्न की बात चली तो सब तेरा नाम लेंगे!!!
~ अज्ञातकिसी दिन तो होगी रोशन मेरी भी जिंदगी
मुझे इंतजार सुबह का नहीं आपकी रहमत का है !!
~ अज्ञातसाथ हो हमेशा, राहों में चमकीली रौशनी हो,
दोस्ती बनी रहे ये पल, जीवन की सबसे प्यारी कहानी हो!
~ अज्ञातमेरे ऐबों को तलाशना बंद कर दिया है लोगों ने,
मैंने तोहफ़े में उन्हें जब से आईना दे दिया है।
जलता है अब तलक तिरी ज़ुल्फ़ों के रश्क से
हर-चंद हो गया है चमन का चराग़ गुल
जिस दिन हम मिलेंगे
तेरी हर शिकायत दूर करेंगे
कसकर गले से भी लगाएंगे और
तेरे खूबसूरत चेहरे को भी चूंमेंगे।
फंसाना भी नहीं आता,
मनाना भी नहीं आता,
बड़ी कठिन है ये मोहब्बत,
बहुत प्यार है मुझसे उससे पर बताना भी नहीं आता।
More Shayari
Motivational Shayari

छोङ देता लेकिन जीत मेरी जिद है,
और जिद का मै बादशाह हूँ..!!
~ अज्ञात

छोङ देता लेकिन जीत मेरी जिद है,
और जिद का मै बादशाह हूँ..!!
~ अज्ञात
रंग-ए-महफ़िल चाहता है इक मुकम्मल इंक़लाब,
चंद शम्ओं के भड़कने से सहर होती नहीं।

छोङ देता लेकिन जीत मेरी जिद है,
और जिद का मै बादशाह हूँ..!!
~ अज्ञात
यही सोच कर हर तपिश में जलता आया हूं,
धूप कितनी भी तेज हो समंदर नहीं सूखा करते।

छोङ देता लेकिन जीत मेरी जिद है,
और जिद का मै बादशाह हूँ..!!
~ अज्ञात
क्या क्या हुआ है हम से जुनूँ में न पूछिए
उलझे कभी ज़मीं से कभी आसमाँ से हम
Festival Shayari

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

हँसी थमी है इन आँखों में यूँ नमी की तरह
चमक उठे हैं अंधेरे भी रौशनी की तरह
– मीना कुमारी नाज़
~ अज्ञात
हँसी थमी है इन आँखों में यूँ नमी की तरह चमक उठे हैं अंधेरे भी रौशनी की तरह – मीना कुमारी नाज़
मैं एक लम्हा था और नींद के हिसार में था फिर एक रोज़ किसी ख़्वाब ने जगाया मुझे
ग़म है न अब ख़ुशी है न उम्मीद है न यास सब से नजात पाए ज़माने गुज़र गए

ग़ुंचों के मुस्कुराने पे कहते हैं हँस के फूल
अपना करो ख़याल हमारी तो कट गई
~ Shaad Azimabadi
ग़ुंचों के मुस्कुराने पे कहते हैं हँस के फूल अपना करो ख़याल हमारी तो कट गई
Funny Shayari
अज्ञात

स्मार्ट तो मैं हूं तेरी आंख में ही खोट है,
पान खाकर आई है जो लाल तेरे होंठ हैं!
~ अज्ञात

हमारी तडप तो कुछ भी नहीं है हुजुर,
सुना है कि आपके दिदार के लिए तो आइना भी तरसता है……!!!
~ अज्ञात
हमारी तडप तो कुछ भी नहीं है हुजुर, सुना है कि आपके दिदार के लिए तो आइना भी तरसता है……!!!

अभी आए अभी जाते हो जल्दी क्या है दम ले लो
न छेड़ूँगा मैं जैसी चाहे तुम मुझ से क़सम ले लो
~ अमीर मीनाई
अभी आए अभी जाते हो जल्दी क्या है दम ले लो न छेड़ूँगा मैं जैसी चाहे तुम मुझ से क़सम ले लो

जमाने के लिए आज होली है,
मुझे तो तेरी यादे रोज रंग देती है……!!!
~ अज्ञात
जमाने के लिए आज होली है, मुझे तो तेरी यादे रोज रंग देती है……!!!

गम ना कर ज़िंदगी बहुत बड़ी है,
चाहत की महफ़िल तेरे लिए सजी है,
बस एक बार मुस्कुरा कर तो देख,
तक़दीर खुद तुझसे मिलने बाहर खड़ी है……..!!!
~ अज्ञात
गम ना कर ज़िंदगी बहुत बड़ी है, चाहत की महफ़िल तेरे लिए सजी है, बस एक बार मुस्कुरा कर तो देख, तक़दीर खुद तुझसे मिलने बाहर खड़ी है……..!!!

वो इत्र से खुद को लुभाती है इस कदर,
मैं तो उसके ख्यालो में ही महक जाता हूँ।
~ अज्ञात
वो इत्र से खुद को लुभाती है इस कदर, मैं तो उसके ख्यालो में ही महक जाता हूँ।
फ़ारूक़ शफ़क़
दिन किसी तरह से कट जाएगा सड़कों पे ‘शफ़क़’ शाम फिर आएगी हम शाम से घबराएँगे
View Shayariअज्ञात
कम नहीं हैं, आँसू मेरी आँखों में, मगर रोता नहीं कि, उनमें उसकी तस्वीर दिखती है
View Shayariअज्ञात
मेरी खामोशी से कोई अंदाज़ा न लगा सका, कि इस टूटे दिल में कितना दर्द छुपा है।
View Shayariअख़्तर शीरानी
उठते नहीं हैं अब तो दुआ के लिए भी हाथ किस दर्जा ना-उमीद हैं परवरदिगार से
View Shayariअज्ञात
कभी कभी अपनो से ऐसा दर्द मिलता हैं, आँशु तो पास होते हैं। मगर रोया नहीं जाता..
View Shayariअज्ञात
“दिल से जिसे चाहा, उसी ने दिल तोड़ दिया, अब दिल को भी इस खेल का आदी बना लिया।”
View Shayariअज्ञात
कई बार जिंदगी में हमें सफर अकेले ही तय करना पड़ता है, चाहे हमारे साथ कितने भी लोग हों।
View Shayariतेरा ख्याल दिल से मिटाया नहीं अभी,
तेरा ख्याल दिल से मिटाया नहीं अभी, बेवफा मैंने तुझको भुलाया नहीं अभी…!!
अज्ञातकहते हैं लोग बेवफा तुझे, पर मेरा दिल नहीं मानता,
कहते हैं लोग बेवफा तुझे, पर मेरा दिल नहीं मानता, तेरी यादें, तेरा एहसास, अब भी दिल को बहुत सताता।
अज्ञातमिल जाए जब औरो से फुरसत तो जरा सोचना
मिल जाए जब औरो से फुरसत तो जरा सोचना क्या सिर्फ फुरसतो में याद करने का रिश्ता है हमसे
अज्ञातकभी रो के मुस्कुराए, कभी मुस्कुरा के रोये,
कभी रो के मुस्कुराए, कभी मुस्कुरा के रोये, तेरी याद जब भी आयी, तुझे भुला भुला के रोये।
अज्ञातबेवफा तेरी यादों में डूबे तो ये जाना,
बेवफा तेरी यादों में डूबे तो ये जाना, तूने तो कभी समझा ही नहीं, मेरा प्यार क्या था।
अज्ञातबेवफा तेरे ख्यालों में, दिन-रात डूबा रहता हूं,
बेवफा तेरे ख्यालों में, दिन-रात डूबा रहता हूं, तेरी याद में, अपना सब कुछ भूला बैठा हूं।
अज्ञातवफ़ा के नाम से मेरे सनम अनजान थे,
वफ़ा के नाम से मेरे सनम अनजान थे, किसी की बेवफाई से शायद परेशान थे, हमने वफ़ा देनी चाही तो पता चला, हम खुद बेवफा के नाम से बदनाम थे।
अज्ञात
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"












































