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ज़ेर-ए-शमशीर-ए-सितम 'मीर' तड़पना कैसा
सर भी तस्लीम-ए-मोहब्बत में हिलाया न गया
हाँ समुंदर में उतर लेकिन उभरने की भी सोच,
डूबने से पहले गहराई का अंदाज़ा लगा।
वो एक राज़! जो मुद्दत से राज़ था ही नहीं
उस एक राज़ से पर्दा उठा दिया गया है
More Shayari
Motivational Shayari

न पूछो कि मेरी मंजिल कहां है,
अभी तो सफर का इरादा किया है,
न हारुंगा हौसला उम्र भर,
ये मैंने खुद से वादा किया है।
~ अज्ञात
जिंदगी बहुत हसीन है,
कभी हंसाती है, तो कभी रुलाती है,
लेकिन जो जिंदगी की भीड़ में खुश रहता है,
जिंदगी उसी के आगे सिर झुकाती है।

न पूछो कि मेरी मंजिल कहां है,
अभी तो सफर का इरादा किया है,
न हारुंगा हौसला उम्र भर,
ये मैंने खुद से वादा किया है।
~ अज्ञात
ठोकरें खा के भी ना संभले तो मुसाफ़िर का नसीब,
वर्ना पत्थरों ने तो अपना फर्ज़ निभा ही दिया।

न पूछो कि मेरी मंजिल कहां है,
अभी तो सफर का इरादा किया है,
न हारुंगा हौसला उम्र भर,
ये मैंने खुद से वादा किया है।
~ अज्ञात
रास्ता सोचते रहने से किधर बनता है,
सर में सौदा हो तो दीवार में दर बनता है।

न पूछो कि मेरी मंजिल कहां है,
अभी तो सफर का इरादा किया है,
न हारुंगा हौसला उम्र भर,
ये मैंने खुद से वादा किया है।
~ अज्ञात
Festival Shayari

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

हम अर्ज़-ए-वफ़ा भी कर न सके कुछ कह न सके कुछ सुन न सके
याँ हम ने ज़बाँ ही खोली थी वाँ आँख झुकी शरमा भी गए
~ Asrar-ul-Haq Majaz
हम अर्ज़-ए-वफ़ा भी कर न सके कुछ कह न सके कुछ सुन न सके याँ हम ने ज़बाँ ही खोली थी वाँ आँख झुकी शरमा भी गए
साथ मेरे तेरे जो दुख था सो प्यारे ऐश था जब सीं तू बिछड़ा है तब सीं ऐश सब ग़म हो गया

“तुम जियो हजारो साल,
साल के दिन हो पचास हजार,
Happy Birthday!
~ अज्ञात
“तुम जियो हजारो साल, साल के दिन हो पचास हजार, Happy Birthday!
Funny Shayari
अज्ञात

कतरा-कतरा गुलाब होता है,
अपने हाथों से पीला दे शराब तो वो भी मिनरल वॉटर होता है!
~ अज्ञात

दिल से उठता है सुब्ह-ओ-शाम धुआँ
कोई रहता है इस मकाँ में अभी
~ अंजुम रूमानी
दिल से उठता है सुब्ह-ओ-शाम धुआँ कोई रहता है इस मकाँ में अभी

वो जो हमारे लिए ख़ास होते हैं,
जिनके लिए दिल में एहसास होते हैं,
चाहे वक़्त कितना भी दूर कर दे उन्हें,
पर दूर रहकर भी वो दिल के पास होते हैं…….!!!
~ अज्ञात
वो जो हमारे लिए ख़ास होते हैं, जिनके लिए दिल में एहसास होते हैं, चाहे वक़्त कितना भी दूर कर दे उन्हें, पर दूर रहकर भी वो दिल के पास होते हैं…….!!!

खुदा से भी पहले तेरा नाम लिया है मैंने,
क्या पता तुझे कितना याद किया है मैंने,
काश सुन सके तू धड़कन मेरी,
हर सांस को तेरे नाम से जिया है मैंने……..!!!
~ अज्ञात
खुदा से भी पहले तेरा नाम लिया है मैंने, क्या पता तुझे कितना याद किया है मैंने, काश सुन सके तू धड़कन मेरी, हर सांस को तेरे नाम से जिया है मैंने……..!!!

मैं बेचैन सा लगता हूं
वो राहत जैसी लगती हैं
मैं खो जाता हूं ख्वाबों में
वो भीतर मेरे जगती हैं !
~ अज्ञात
मैं बेचैन सा लगता हूं वो राहत जैसी लगती हैं मैं खो जाता हूं ख्वाबों में वो भीतर मेरे जगती हैं !

जमाने के लिए आज होली है,
मुझे तो तेरी यादे रोज रंग देती है……!!!
~ अज्ञात
जमाने के लिए आज होली है, मुझे तो तेरी यादे रोज रंग देती है……!!!
फ़रहत एहसास
मैं रोना चाहता हूँ ख़ूब रोना चाहता हूँ मैं फिर उस के बाद गहरी नींद सोना चाहता हूँ मैं
View ShayariHasrat Mohani
ग़म-ए-आरज़ू का 'हसरत' सबब और क्या बताऊँ मिरी हिम्मतों की पस्ती मिरे शौक़ की बुलंदी
View Shayariवसी शाह
इस जुदाई में तुम अंदर से बिखर जाओगे किसी मा’ज़ूर को देखोगे तो याद आऊँगा
View Shayariअज्ञात
“दिल का हर जख्म अब तुम्हारी यादों में बस गया है, जिसे मैं कभी मिटा नहीं सकता।”
View Shayariअज्ञात
“मुझे पता है, मैं तुम्हारा पहला प्यार नहीं था, लेकिन यकीन मानो, आखिरी था।”
View Shayariअगर तुम अब भी मेरी हो जाओ तो मैं,
अगर तुम अब भी मेरी हो जाओ तो मैं, दुनिया की हर किताब से बेवफा लफ्ज मिटा दूंगा…!!
अज्ञातबे-वफ़ा तुम बा-वफ़ा मैं देखिए होता है क्या
बे-वफ़ा तुम बा-वफ़ा मैं देखिए होता है क्या ग़ैज़ में आने को तुम हो मुझ को प्यार आने को है
आग़ा हज्जू शरफ़बहुत अजीब हैं ये मोहब्बत करने वाले,
बहुत अजीब हैं ये मोहब्बत करने वाले, बेवफाई करो तो रोते हैं और वफा करो तो रुलाते हैं…!!
अज्ञातबेवफा तू नहीं, तेरे वादे थे बेवफा,
बेवफा तू नहीं, तेरे वादे थे बेवफा, तेरी यादें अब भी इस दिल में बसी हुई हैं।
अज्ञातवो मोहब्बत भी तेरी थी वो नफ़रत भी तेरी थी,
वो मोहब्बत भी तेरी थी वो नफ़रत भी तेरी थी, वो अपनाने और ठुकरानी की अदा भी तेरी थी, मे अपनी वफ़ा का इंसाफ़ किस से माँगता, वो सहर भी तेरा था वो अदालत भी तेरी थी।
अज्ञातउमीद उन से वफ़ा की तो ख़ैर क्या कीजे
उमीद उन से वफ़ा की तो ख़ैर क्या कीजे जफ़ा भी करते नहीं वो कभी जफ़ा की तरह
आतिश बहावलपुरीमेरी आँखों से बहने वाला ये आवारा सा आसूँ,
मेरी आँखों से बहने वाला ये आवारा सा आसूँ, पूछ रहा है पलकों से तेरी बेवफाई की वजह…!!
अज्ञात
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"