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उस का जवाब एक ही लम्हे में ख़त्म था
फिर भी मिरे सवाल का हक़ देर तक रहा
सैकड़ों रंगों की बारिश हो चुकेगी उस के बाद
इत्र में भीगी हुई शामों का मंज़र आएगा
जान-ए-तन्हा पे गुज़र जाएँ हज़ारों सदमे
आँख से अश्क रवाँ हों ये ज़रूरी तो नहीं
ख़िज़ाँ की रुत है जनम-दिन है और धुआँ और फूल
हवा बिखेर गई मोम-बत्तियाँ और फूल
साबिर ज़फ़र
क्या है हरजाई हसीनान-ए-जहाँ सारी हैं
ये वो अख़्तर हैं कि साबित नहीं सय्यारी हैं
More Shayari
Motivational Shayari

परों से नहीं हौसलों से उड़ान होती है
~ अज्ञात

परों से नहीं हौसलों से उड़ान होती है
~ अज्ञात

परों से नहीं हौसलों से उड़ान होती है
~ अज्ञात
हयात ले के चलो काएनात ले के चलो,
चलो तो सारे ज़माने को साथ ले के चलो।

परों से नहीं हौसलों से उड़ान होती है
~ अज्ञात
कमाल-ए-जोश-ए-जुनूँ में रहा मैं गर्म-ए-तवाफ़
ख़ुदा का शुक्र सलामत रहा हरम का ग़िलाफ़
Festival Shayari

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

हम न कहते थे हँसी अच्छी नहीं
आ गई आख़िर रुकावट देखिए
~ imdad ali bahar
हम न कहते थे हँसी अच्छी नहीं आ गई आख़िर रुकावट देखिए
खुल के रो भी सकूँ और हँस भी सकूँ जी भर के अभी इतनी भी फ़राग़त में नहीं रह सकता

इश्क़ से तबीअत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया
दर्द की दवा पाई दर्द-ए-बे-दवा पाया
मिर्ज़ा ग़ालिब
~ अज्ञात
इश्क़ से तबीअत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया दर्द की दवा पाई दर्द-ए-बे-दवा पाया मिर्ज़ा ग़ालिब
Funny Shayari
अज्ञात

गलत नजर से देखोगे तो खराबी नजर आएगी,
सही नजर से देखो हर तरफ तुम्हारी भाभी नजर आएगी!
~ अज्ञात

जब से देखा है तेरी आँखो मे झाँक कर,
कोई भी आईना अच्छा नही लगता,
तेरी मोहब्बत मे ऐसे हुए है दीवाने,
तुम्हे कोई और देखे तो अच्छा नही लगता……..!!!
~ अज्ञात
जब से देखा है तेरी आँखो मे झाँक कर, कोई भी आईना अच्छा नही लगता, तेरी मोहब्बत मे ऐसे हुए है दीवाने, तुम्हे कोई और देखे तो अच्छा नही लगता……..!!!

आपके आने से ज़िंदगी कितनी खूबसूरत है,
दिल मे बसी है जो वो आपकी ही सूरत है,
दूर जाना नही हमसे कभी भूलकर भी,
हमे हर कदम पर आपकी ज़रूरत है……..!!!
~ अज्ञात
आपके आने से ज़िंदगी कितनी खूबसूरत है, दिल मे बसी है जो वो आपकी ही सूरत है, दूर जाना नही हमसे कभी भूलकर भी, हमे हर कदम पर आपकी ज़रूरत है……..!!!

आख़री हिचकी तिरे ज़ानूँ पे आए
मौत भी मैं शाइराना चाहता हूँ
~ क़तील शिफ़ाई
आख़री हिचकी तिरे ज़ानूँ पे आए मौत भी मैं शाइराना चाहता हूँ

तुम बरसात में मेरी धूप हो,
अंधेरे में मेरी रोशनी हो,
आजकल की दुनिया में मेरा प्यार हो।
मैं तुम्हें शब्दों से अधिक हो,
कार्यों में व्यक्त करने से अधिक हो,
जीवन के प्यार से भी अधिक हो।
~ अज्ञात
तुम बरसात में मेरी धूप हो, अंधेरे में मेरी रोशनी हो, आजकल की दुनिया में मेरा प्यार हो। मैं तुम्हें शब्दों से अधिक हो, कार्यों में व्यक्त करने से अधिक हो, जीवन के प्यार से भी अधिक हो।

लोग पूछते हैं की तुम क्यूँ अपनी मोहब्बत का इज़हार नहीं करते,
हमने कहा जो लब्जों में बयां हो जाये,
सिर्फ उतना हम किसी से प्यार नहीं करते……….!!!
~ अज्ञात
लोग पूछते हैं की तुम क्यूँ अपनी मोहब्बत का इज़हार नहीं करते, हमने कहा जो लब्जों में बयां हो जाये, सिर्फ उतना हम किसी से प्यार नहीं करते……….!!!
अज्ञात
हर बार सोचा तुझे भुला देंगे, मगर हर बार तेरी यादों में उलझ जाते हैं।
View Shayariअज्ञात
जिंदगी ने हर मोड़ पर हमें आजमाया है, कभी दर्द दिया, तो कभी सब्र का फल चखाया है।
View Shayariअख़्तर सईद ख़ान
किसी के तुम हो किसी का ख़ुदा है दुनिया में मिरे नसीब में तुम भी नहीं ख़ुदा भी नहीं
View Shayariअज्ञात
इत्तिफ़ाक़ समझो या मेरे दर्द की हकीक़त, आँख जब भी नम हुई, वजह तुम ही निकले।
View Shayariअज्ञात
चंद कलियाँ नशात की चुन कर मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँ तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ
View Shayariये सोच के माँ बाप की ख़िदमत में लगा हूँ
इस पेड़ का साया मिरे बच्चों को मिलेगा
~ Munawwar Ranaहांथ पैरपै मुंहमुं नाक से ले कर दादा दादी चाचा चाची बहन भाई रोना हंसहं ना तक सिखाती है।है
वो एक मां हीं है जो अपने बच्चेको एक गुरु के लायक बनाती है।।है
~ अज्ञातवही माबूद है 'नाज़िम' जो है महबूब अपना
वही माबूद है 'नाज़िम' जो है महबूब अपना
काम कुछ हम को न मस्जिद से न बुत-ख़ाने से
ये मोहब्बत करने वाले भी बहुत अजीब हैं,
ये मोहब्बत करने वाले भी बहुत अजीब हैं, वफा करो तो रुलाते हैं और बेवफाई करो तो रोते हैं…!!
अज्ञातउसकी आँखों में अब भी वही राज़ था,
उसकी आँखों में अब भी वही राज़ था, और चेहरे का लिबास वही था, कैसे उन्हें बेवफा कह दूं, आज भी उनके देखने का अंदाज़ वही था।
अज्ञातवफ़ा की ख़ैर मनाता हूँ बेवफ़ाई में भी
वफ़ा की ख़ैर मनाता हूँ बेवफ़ाई में भी मैं उस की क़ैद में हूँ क़ैद से रिहाई में भी
इफ़्तिख़ार आरिफ़लड़के बेवफा नहीं होते वो बस
लड़के बेवफा नहीं होते वो बस Confuse होते हैं … की कौन सी वाली ज्यादा प्यारी है …
अज्ञातआज पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा है,
आज पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा है, की इस दुनिया में मेरा कोई नहीं है…!!
अज्ञातआज तुम हर सांस के साथ याद आ रहे हो
आज तुम हर सांस के साथ याद आ रहे हो बताओ तो जरा तुम्हारी यादें रोकू या सांसे
अज्ञातये क्या कि तुम ने जफ़ा से भी हाथ खींच लिया
ये क्या कि तुम ने जफ़ा से भी हाथ खींच लिया मिरी वफ़ाओं का कुछ तो सिला दिया होता
अब्दुल हमीद अदम
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