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“यही है आज़माना तो सताना किसको कहते हैं,
अदू के हो लिए जब तुम तो मेरा इम्तहां क्यों हो…”
छूट गए पीसने प्यार का इजहार करते हुए,
बाद में पता चला वो तो दोनों कानों से बहरा है!
जिंदगी एक हसीन ख्वाब हैं इसमे
जीने की चाहत होनी चाहिये गम
खुद-ब-खुद ख़ुशी में बदल जायेगा
सिर्फ मुस्कुराने की आदत होनी चाहिये।
धोखे की इस महफिल में, हर रिश्ता नकाबपोश था,
समझा था जिसे अपना, वो ही सबसे बड़ा धोखेबाज था।
तुम्हारे गालों पर एक तिल का पहरा भी जरूरी है,
डर है कि इस चेहरे को किसी की नजर न लग जाए !!
More Shayari
Motivational Shayari

काम आख़िर जज़्बा-ए-बे-इख़्तियार आ ही गया
दिल कुछ इस सूरत से तड़पा उन को प्यार आ ही गया
~ Jigar Moradabadi
मिज़ाज अलग सही हम दोनों क्यूँ अलग हों कि हैं,
सराब ओ आब में पोशीदा क़ुर्बतें क्या क्या।

काम आख़िर जज़्बा-ए-बे-इख़्तियार आ ही गया
दिल कुछ इस सूरत से तड़पा उन को प्यार आ ही गया
~ Jigar Moradabadi
पैदा वो बात कर कि तुझे रोएँ दूसरे,
रोना ख़ुद अपने हाल पे ये ज़ार ज़ार क्या।

काम आख़िर जज़्बा-ए-बे-इख़्तियार आ ही गया
दिल कुछ इस सूरत से तड़पा उन को प्यार आ ही गया
~ Jigar Moradabadi

काम आख़िर जज़्बा-ए-बे-इख़्तियार आ ही गया
दिल कुछ इस सूरत से तड़पा उन को प्यार आ ही गया
~ Jigar Moradabadi
चंग ओ नय रंग पे थे अपने लहू के दम से
दिल ने लय बदली तो मद्धम हुआ हर साज़ का रंग
Festival Shayari

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

तासीर-ए-बर्क़-ए-हुस्न जो उन के सुख़न में थी
इक लर्ज़िश-ए-ख़फ़ी मिरे सारे बदन में थी
~ Hasrat Mohani
तासीर-ए-बर्क़-ए-हुस्न जो उन के सुख़न में थी इक लर्ज़िश-ए-ख़फ़ी मिरे सारे बदन में थी
दुख में खुशी की वजह बनती है मोहब्बत, दर्द में यादों की वजह बनती है मोहब्बत। जब कुछ भी अच्छा नहीं लगता हमें दुनिया में, तब हमारे जीने की वजह बनती है मोहब्बत।

“खुशियों भरा हर साल तुम्हारा हो।
ये आज ये कल तुम्हारा हो।
करें जो चाँद सितारे गुफ्तगू,
तो बातों में भी उनकी ज़िक्र तुम्हारा हो.
है दुआ तुम जियो हज़ारों साल,”
~ अज्ञात
“खुशियों भरा हर साल तुम्हारा हो। ये आज ये कल तुम्हारा हो। करें जो चाँद सितारे गुफ्तगू, तो बातों में भी उनकी ज़िक्र तुम्हारा हो. है दुआ तुम जियो हज़ारों साल,”
Funny Shayari
अज्ञात

लगता है बारिश को भी कब्ज़ हो गयी है,
मौसम बनता है पर आती नहीं।
~ अज्ञात

सीने से लगाकर तुमसे बस
इतना ही कहना है,
मुझे जिंदगी भर आपके ही
साथ रहना है !
~ अज्ञात
सीने से लगाकर तुमसे बस इतना ही कहना है, मुझे जिंदगी भर आपके ही साथ रहना है !

खुदा से भी पहले तेरा नाम लिया है मैंने,
क्या पता तुझे कितना याद किया है मैंने,
काश सुन सके तू धड़कन मेरी,
हर सांस को तेरे नाम से जिया है मैंने……..!!!
~ अज्ञात
खुदा से भी पहले तेरा नाम लिया है मैंने, क्या पता तुझे कितना याद किया है मैंने, काश सुन सके तू धड़कन मेरी, हर सांस को तेरे नाम से जिया है मैंने……..!!!

गम ना कर ज़िंदगी बहुत बड़ी है,
चाहत की महफ़िल तेरे लिए सजी है,
बस एक बार मुस्कुरा कर तो देख,
तक़दीर खुद तुझसे मिलने बाहर खड़ी है……..!!!
~ अज्ञात
गम ना कर ज़िंदगी बहुत बड़ी है, चाहत की महफ़िल तेरे लिए सजी है, बस एक बार मुस्कुरा कर तो देख, तक़दीर खुद तुझसे मिलने बाहर खड़ी है……..!!!

एक बात कहूँ जानेमन,
एक दूसरे की गलतियों को छुपा कर,
एक दूसरे का साथ देना ही,
सच्ची मोहब्बत है।
~ अज्ञात
एक बात कहूँ जानेमन, एक दूसरे की गलतियों को छुपा कर, एक दूसरे का साथ देना ही, सच्ची मोहब्बत है।

यूँ तो बहुत से हैं रास्तें, मुझ तक पहुंचने के,
राह-ऐ-मोहब्बत से आना, फासला कम पड़ेगा……!!!
~ अज्ञात
यूँ तो बहुत से हैं रास्तें, मुझ तक पहुंचने के, राह-ऐ-मोहब्बत से आना, फासला कम पड़ेगा……!!!
अज्ञात
“ख़ामोशी का मतलब ये नहीं कि हमें दर्द नहीं होता, बल्कि दिल से रोते हैं पर दिखाते नहीं।”
View Shayariअज्ञात
तुम क्या गए कि, वक़्त का अहसास मर गया, रातों को जागते रहे, और दिन को सो गए।
View Shayariअज्ञात
“तुम्हारे बिना ये दिल वीरान सा लगता है, जैसे किसी को खोकर हर खुशी खो गई।”
View Shayariअज्ञात
मेरी फितरत में खामोशी नहीं है.., मैं एक हंगामा हूँ, जो बोल पड़ता है..!!!
View Shayariअज्ञात
तेरे बिना हर रात अधूरी सी लगती है, जैसे किसी रात को चांद छुपा हो बादलों में।
View Shayariअज्ञात
किस्मत ने हमें हर बार अलग कर दिया, हमने हर बार उसे साथ रहने की दुआ की।
View Shayariअज्ञात
तू दूर है फिर भी हर लम्हा मेरे साथ है, तेरी कमी को ये दिल हर पल महसूस करता है।
View Shayariआँखों की नींद दोनों तरह से हराम है,
आँखों की नींद दोनों तरह से हराम है, उस बेवफ़ा को याद करें या भुलाएँ हम…!!
अज्ञातअब मैंने खुद का धयान रखना शुरू कर दिया है,
अब मैंने खुद का धयान रखना शुरू कर दिया है, क्योंकि धयान रखने वाले अब बदल चुके है…!!
अज्ञातअगर कभी फुर्सत मिले तो,
अगर कभी फुर्सत मिले तो, हमें इतना तो बताते जाना कि, आखिर ऐसी कौन सी खुशी थी, जो मैं तुम्हें ना दे सका…!!
अज्ञाततुम्हारी तो दिवाली है,
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
अज्ञातचले जाने दो बेवफा को किसी और की बाहों में,
चले जाने दो बेवफा को किसी और की बाहों में, जो मेरा ना हो सका वो किसी और का क्या होगा।
अज्ञातवफ़ा की ख़ैर मनाता हूँ बेवफ़ाई में भी
वफ़ा की ख़ैर मनाता हूँ बेवफ़ाई में भी मैं उस की क़ैद में हूँ क़ैद से रिहाई में भी
इफ़्तिख़ार आरिफ़कौन कहता है लड़के बेदर्द होते हैं,
कौन कहता है लड़के बेदर्द होते हैं, बस वो रोते नहीं क्योंकि वह मर्द होते हैं…!!
अज्ञातकहते हैं लोग बेवफा तुझे, पर मेरा दिल नहीं मानता,
कहते हैं लोग बेवफा तुझे, पर मेरा दिल नहीं मानता, तेरी यादें, तेरा एहसास, अब भी दिल को बहुत सताता।
अज्ञात
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"












































