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“खुशी रहे जीवन में सदा, गम ना कोई आए,
इसी दुआ के साथ, जन्मदिन की शुभकामनाएं..!!!”
कोइ आके पुछे मुजे प्यार केसा होता है
मे बोलुप्यार तो प्यार होता है
उसका एहसास होता है
ये है कि झुकाता है मुख़ालिफ़ की भी गर्दन
सुन लो कि कोई शय नहीं एहसान से बेहतर
गर रहूँ शहर में हो दूद के बाइस ख़फ़क़ाँ
जाऊँ सहरा को तो दम गर्द-ए-बयाबाँ रोके
More Shayari
Motivational Shayari

शाख से टूट जाए वो पत्ते नहीं हैं हम,
आँधी से कोई कह दे कि औकात में रहे।
~ अज्ञात
जज़्बा-ए-बे-इख़्तियार-ए-शौक़ देखा चाहिए
सीना-ए-शमशीर से बाहर है दम शमशीर का

शाख से टूट जाए वो पत्ते नहीं हैं हम,
आँधी से कोई कह दे कि औकात में रहे।
~ अज्ञात
गर मेरी खुद्दारी देखोगे तो सह नहीं पाओगे,
इसमें ऐसा पागलपन है कि गर देखोगे इसे तो जल जाओगे!

शाख से टूट जाए वो पत्ते नहीं हैं हम,
आँधी से कोई कह दे कि औकात में रहे।
~ अज्ञात
मत खुद को रोक,
सही रास्ते पर चल,
मंज़िल खुद-ब-खुद तुम्हारे सामने आएगी।
बस कोशिश तो कर।

शाख से टूट जाए वो पत्ते नहीं हैं हम,
आँधी से कोई कह दे कि औकात में रहे।
~ अज्ञात
वो जिस को मैं समझता रहा कामयाब दिन
वो दिन था मेरी उम्र का सब से ख़राब दिन
Festival Shayari

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

तेरी हंसी, मेरे कानों के लिए संगीत की तरह,
मेरी आत्मा को खुशी और उत्साह से भर देती है।
~ अज्ञात
तेरी हंसी, मेरे कानों के लिए संगीत की तरह, मेरी आत्मा को खुशी और उत्साह से भर देती है।
सुब्ह-ए-रौशन को अंधेरों से भरी शाम न दे दिल के रिश्ते को मिरी जान कोई नाम न दे

ये ग़म-कदा है इस में 'मुबारक' ख़ुशी कहाँ
ग़म को ख़ुशी बना कोई पहलू निकाल के
~ Mubarak Azimabadi
ये ग़म-कदा है इस में 'मुबारक' ख़ुशी कहाँ ग़म को ख़ुशी बना कोई पहलू निकाल के
Funny Shayari
अज्ञात

ना शर्म आ रही है ना मोटिवेशन आ रही है,
बस गलत टाइम पर हंसी और रोना आ रही है!
~ अज्ञात

यूँ नज़रें वो नीचे किए चले जा रहें हैं,
पास आशिक़ खड़े यूँ परेशाँ हुए जा रहें हैं,
कोई कहता है ज़ालिम अपनी नज़र तो उठा,
हम तेरे रूख का दीदार करने को मरे जा रहें हैं…….!!!
~ अज्ञात
यूँ नज़रें वो नीचे किए चले जा रहें हैं, पास आशिक़ खड़े यूँ परेशाँ हुए जा रहें हैं, कोई कहता है ज़ालिम अपनी नज़र तो उठा, हम तेरे रूख का दीदार करने को मरे जा रहें हैं…….!!!

कितनी ख़ूबसूरत हो जाती है दुनिया,
जब कोई अपना कहता है की तुम बहुत याद आ रहे हो…….!!!
~ अज्ञात
कितनी ख़ूबसूरत हो जाती है दुनिया, जब कोई अपना कहता है की तुम बहुत याद आ रहे हो…….!!!

शान से हम तेरे दिल में रहेंगे,
तेरी मोहब्बत पे जान निसार करेंगे,
देख के जलेंगी हमे दुनिया सारी,
इस कदर बे-पनाह तुझे प्यार करेंगे……!!!
~ अज्ञात
शान से हम तेरे दिल में रहेंगे, तेरी मोहब्बत पे जान निसार करेंगे, देख के जलेंगी हमे दुनिया सारी, इस कदर बे-पनाह तुझे प्यार करेंगे……!!!

जी चाहता है तुम से प्यारी सी बात हो
हसीन चांद तारे हो, लम्बी सी रात हो !
~ अज्ञात
जी चाहता है तुम से प्यारी सी बात हो हसीन चांद तारे हो, लम्बी सी रात हो !

मेरा बस चले तो तेरी अदाँए खरीद लुँ,
अपने जीने के वास्ते, तेरी वफाँए खरीद लुँ,
कर सके जो हर वक्त दीदार तेरा,
सब कुछ लुटा के वो निगाँहें खरीद लुँ……!!!
~ अज्ञात
मेरा बस चले तो तेरी अदाँए खरीद लुँ, अपने जीने के वास्ते, तेरी वफाँए खरीद लुँ, कर सके जो हर वक्त दीदार तेरा, सब कुछ लुटा के वो निगाँहें खरीद लुँ……!!!
अज्ञात
चाय जैसी उबल रही है जिंदगी, मगर हम भी हर घूँट का, आनंद शौक से लेंगे।
View Shayariअज्ञात
“दिल का दर्द अक्सर वो ही समझते हैं, जिन्होंने सच्चे दिल से प्यार किया हो।”
View Shayariअज्ञात
“हमारी खामोशी को हमारी तन्हाई मत समझो, इसमें सिर्फ़ तेरी यादें बसी हैं।”
View Shayariअज्ञात
तूने जो दिए थे वो जख्म आज भी ताजा हैं, और तेरी यादें आज भी मेरे दिल में बसी हैं।
View Shayariसाहिर लुधियानवी
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
View Shayariअज्ञात
“दिल से खेलने वाले अक्सर मुस्कुराकर चले जाते हैं, और हम उन्हें दिल से निभाते रहते हैं।”
View Shayariवो बेवफ़ा है तो क्या मत कहो बुरा उसको,
वो बेवफ़ा है तो क्या मत कहो बुरा उसको, कि जो हुआ सो हुआ ख़ुश रखे ख़ुदा उसको…!!
अज्ञाततेरी बेवफा दुनिया में, हम ना कभी खुश थे,
तेरी बेवफा दुनिया में, हम ना कभी खुश थे, दर्द का ये कारवां, तेरे बिना भी चलता रहा।
अज्ञातसोचा था चाँद तक साथ चलेंगे,
सोचा था चाँद तक साथ चलेंगे, पर तेरी बेवफाई ने राहों में ही छोड़ दिया।
अज्ञातनहीं शिकवा मुझे कुछ बेवफ़ाई का तिरी हरगिज़
नहीं शिकवा मुझे कुछ बेवफ़ाई का तिरी हरगिज़ गिला तब हो अगर तू ने किसी से भी निभाई हो
ख़्वाजा मीर दर्दक्यों महसूस नहीं होती उसे मेरी तकलीफ,
क्यों महसूस नहीं होती उसे मेरी तकलीफ, जो कहती थी अच्छे से जानती हूं तुम्हे…!!
अज्ञातवो मिली भी तो क्या मिली,
वो मिली भी तो क्या मिली, बन के बेवफा मिली,। इतने तो बुरे हम ना थे, जितनी मुझे सजा मिली।।
अज्ञात
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Top Categories
❤️ अपनी भावनाओं को शायरी में ढालें ❤️
शायरी, वो कला है जो दिल से निकल कर सीधे दिल तक पहुंचती है। हर शब्द में छुपा है अनकही कहानियों का खजाना। आइए, अपने जज़्बातों को खूबसूरत अल्फाज़ों में बदलें।

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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"












































