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बादशाह नहीं बाजीगर से पहचानते हैं लोग,
क्योंकि हम राजाओं के सामने झुका नहीं करते!
वो हुजूम-ए-दिल-ज़दगाँ कि था तुझे मुज़्दा हो कि बिखर गया
तिरे आस्ताने की ख़ैर हो सर-ए-रह-ए-गुबार भी अब नहीं
था बहुत उन को गिलौरी का उठाना मुश्किल
दस्त-ए-नाज़ुक से दिया पान बड़ी मुश्किल से
ख़ारों से ये कह दो कि गुल-ए-तर से न उलझें
सीखे कोई अंदाज़-ए-शरीफ़ाना हमारा
More Shayari
Motivational Shayari

अपने लोगों को वक्त दो,
क्योंकि अगर किसी और ने वक्त दिया,
तो यकीन मानो, दूर हो जाओगे।
~ अज्ञात

अपने लोगों को वक्त दो,
क्योंकि अगर किसी और ने वक्त दिया,
तो यकीन मानो, दूर हो जाओगे।
~ अज्ञात
होके मायूस ना आंगन से उखाड़ो ये पौधे,
धूप बरसी है यहां तो बारिश भी यही पर होगी!

अपने लोगों को वक्त दो,
क्योंकि अगर किसी और ने वक्त दिया,
तो यकीन मानो, दूर हो जाओगे।
~ अज्ञात
उठो तो ऐसे उठो कि फक्र हो बुलंदी को,
झुको तो ऐसे झुको बंदगी भी नाज़ करे।
तब झुके जब जरूरत हो, जब उठो, जब जरूरी हो।

अपने लोगों को वक्त दो,
क्योंकि अगर किसी और ने वक्त दिया,
तो यकीन मानो, दूर हो जाओगे।
~ अज्ञात
Festival Shayari

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

बहार-ए-हुस्न ये दो दिन की चाँदनी है हुज़ूर
जो बात अब की बरस है वो पार साल नहीं
~ Lala Madhav Ram Johar
बहार-ए-हुस्न ये दो दिन की चाँदनी है हुज़ूर जो बात अब की बरस है वो पार साल नहीं
बड़े ताबाँ बड़े रौशन सितारे टूट जाते हैं सहर की राह तकना ता सहर आसाँ नहीं होता
Funny Shayari

गम ना कर ज़िंदगी बहुत बड़ी है,
चाहत की महफ़िल तेरे लिए सजी है,
बस एक बार मुस्कुरा कर तो देख,
तक़दीर खुद तुझसे मिलने बाहर खड़ी है……..!!!
~ अज्ञात
गम ना कर ज़िंदगी बहुत बड़ी है, चाहत की महफ़िल तेरे लिए सजी है, बस एक बार मुस्कुरा कर तो देख, तक़दीर खुद तुझसे मिलने बाहर खड़ी है……..!!!

शान से हम तेरे दिल में रहेंगे,
तेरी मोहब्बत पे जान निसार करेंगे,
देख के जलेंगी हमे दुनिया सारी,
इस कदर बे-पनाह तुझे प्यार करेंगे……!!!
~ अज्ञात
शान से हम तेरे दिल में रहेंगे, तेरी मोहब्बत पे जान निसार करेंगे, देख के जलेंगी हमे दुनिया सारी, इस कदर बे-पनाह तुझे प्यार करेंगे……!!!

तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे
मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे
~ क़ैसर-उल जाफ़री
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे

तनहाई ले जाती है जहाँ तक याद तुम्हारी,
वही से शुरू होती है जिंदगी हमारी,
नहीं सोचा था हम चाहेंगे तुम्हें इस कदर,
पर अब तो बन गए हो तुम किसमत हमारी…..!!!
~ अज्ञात
तनहाई ले जाती है जहाँ तक याद तुम्हारी, वही से शुरू होती है जिंदगी हमारी, नहीं सोचा था हम चाहेंगे तुम्हें इस कदर, पर अब तो बन गए हो तुम किसमत हमारी…..!!!

लोग पूछते हैं की तुम क्यूँ अपनी मोहब्बत का इज़हार नहीं करते,
हमने कहा जो लब्जों में बयां हो जाये,
सिर्फ उतना हम किसी से प्यार नहीं करते……….!!!
~ अज्ञात
लोग पूछते हैं की तुम क्यूँ अपनी मोहब्बत का इज़हार नहीं करते, हमने कहा जो लब्जों में बयां हो जाये, सिर्फ उतना हम किसी से प्यार नहीं करते……….!!!
अज्ञात
उदाशी कोई देख ना ले इसलिए मुस्कुरा लेते हैं चलो तुम्हारे खूबसूरत चेहरे पर थोड़े शायरी बना लेते हैं
View Shayariअज्ञात
तेरी मोहब्बत का गम भी अब अपना सा लगता है, क्योंकि इसमें भी एक याद है तेरी।
View Shayariअज्ञात
तेरे बिना हर रात अधूरी सी लगती है, जैसे किसी रात को चांद छुपा हो बादलों में।
View Shayariअज्ञात
दिल की बातें अब किससे कहें, तुम्हारे बाद इस दिल में कोई जगह ही नहीं बची।
View Shayariअज्ञात
हंसते हुए चेहरे के पीछे छुपे होते हैं कई ग़म, जिंदगी की सच्चाई हर किसी के बस की बात नहीं।
View Shayariअज्ञात
इश्क मे हमने कीतन सीतम सहे हे शहर तो छोड़ दिया,,, अब क्या जीना छोड़ दे।
View Shayariतेरे हुस्न पे तारीफों भरी किताब लिख देता,
तेरे हुस्न पे तारीफों भरी किताब लिख देता, काश तेरी वफ़ा तेरे हुस्न के बराबर होती…!!
अज्ञातयूं तो मैं गहरी समुंदर हूं गमों का,
यूं तो मैं गहरी समुंदर हूं गमों का, मगर मुस्कुराने की आदत है मेरी…!!
अज्ञातवफा के नाम पर बेवफाई दे जाते हैं,
वफा के नाम पर बेवफाई दे जाते हैं, कुछ लोग प्यार में सिर्फ बदनामी दे जाते हैं…!!
अज्ञातमैं अपनी डायरी के पेज पर जो लिखा है,
मैं अपनी डायरी के पेज पर जो लिखा है, उसकी कॉन्टैक्ट लिस्ट में भी नहीं हूं…!!
अज्ञातसफर में था जो साथी मेरा, वो बेवफा निकला,
सफर में था जो साथी मेरा, वो बेवफा निकला, दर्द का ये सिलसिला, अब तक नहीं रुका।
अज्ञातवो बेवफा हर बात पे देता है परिंदों की मिसाल,
वो बेवफा हर बात पे देता है परिंदों की मिसाल, साफ साफ नहीं कहता मेरा शहर छोड़ दो…!!
अज्ञातये जफ़ाओं की सज़ा है कि तमाशाई है तू
ये जफ़ाओं की सज़ा है कि तमाशाई है तू ये वफ़ाओं की सज़ा है कि पए-दार हूँ मैं
हामिद मुख़्तार हामिदक्या पता था कि महोब्बत हो जायेगी,
क्या पता था कि महोब्बत हो जायेगी, हमें तो बस तेरा मुस्कुराना अच्छा लगा…!!
अज्ञात
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शायरी क्यों खास है:
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❤️ अपनी भावनाओं को शायरी में ढालें ❤️
शायरी, वो कला है जो दिल से निकल कर सीधे दिल तक पहुंचती है। हर शब्द में छुपा है अनकही कहानियों का खजाना। आइए, अपने जज़्बातों को खूबसूरत अल्फाज़ों में बदलें।

शायरी के फायदे:
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"














































