Author Details

Pen Name:'Nasir'
Real Name:Naasir Raza Kazmi
Born:08 Dec 1925 | Ambala, Haryana
Died:02 Mar 1972 | Lahore, Punjab
Relatives:Basir Sultan Kazmi (Son),
One of the founders of modern ghazal. Born at Ambala in India, he migrated to Pakistan and wrote extensively on the pain and sufferings of partition.One of the founders of modern ghazal. Born at Ambala in India, he migrated to Pakistan and wrote extensively on the pain and sufferings of partition.
यूं मुझे छोड़ कर जाने की,
कोई एक वजह तो बता देते,
मुझसे नाराज थे या फिर,
तुम्हारी जिंदगी में मेरे जैसे बहुत थे…!!
मैं निगाह-ए-पाक से देखे था तिरे हुस्न-ए-पाक को इस पे भी
मिरे जी में ख़्वाहिश-ए-वस्ल थी तिरे दिल में बोस-ओ-कनार था
अपने खूबसूरत चेहरे पर,
यूं ना जुल्फें लहराओ।
यह हवाएं भी खामोश,
मोहब्बत किया करती हैं।
मैं हैरत ओ हसरत का मारा ख़ामोश खड़ा हूँ साहिल पर
दरिया-ए-मोहब्बत कहता है आ कुछ भी नहीं पायाब हैं हम
मादर-ए-दहर उठाती है जो हर दम मिरे नाज़
उस के दामन पे मैं तिफ़लाना मचल जाता हूँ
More Shayari
Motivational Shayari

अगर जिंदगी में सफलता पाना चाहते हो,
तो धैर्य को अपना सच्चा मित्र बना लो!
~ अज्ञात
आंधियां सदा चलती नहीं, मुश्किलें सदा रहती नहीं,
मिलेगी तुझे मंजिल तेरी, बस तू ज़रा कोशिश तो कर।

अगर जिंदगी में सफलता पाना चाहते हो,
तो धैर्य को अपना सच्चा मित्र बना लो!
~ अज्ञात
हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं
हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं

अगर जिंदगी में सफलता पाना चाहते हो,
तो धैर्य को अपना सच्चा मित्र बना लो!
~ अज्ञात
वो आएँगे तो आएँगे जुनून-ए-शौक़ उभारने
वो जाएँगे तो जाएँगे ख़राबियाँ किए हुए

अगर जिंदगी में सफलता पाना चाहते हो,
तो धैर्य को अपना सच्चा मित्र बना लो!
~ अज्ञात
तदबीर के दस्त-ए-रंगीं से तक़दीर दरख़्शाँ होती है,
क़ुदरत भी मदद फ़रमाती है जब कोशिश-ए-इंसाँ होती है।
Festival Shayari

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

हँसी है दिल-लगी है क़हक़हे हैं
तुम्हारी अंजुमन का पूछना क्या
~ Mubarak Azimabadi
हँसी है दिल-लगी है क़हक़हे हैं तुम्हारी अंजुमन का पूछना क्या
ग़म सीं अहल-ए-बैत के जी तो तिरा कुढ़ता नहीं यूँ अबस पढ़ता फिरा जो मर्सिया तो क्या हुआ

सब हसीं हैं ज़ाहिदों को ना-पसंद
अब कोई हूर आएगी उन के लिए
~ Ameer Meenai
सब हसीं हैं ज़ाहिदों को ना-पसंद अब कोई हूर आएगी उन के लिए
Funny Shayari
अज्ञात

जिंदगी में भर-भर कर मिले गम,
जितनी लड़कियों ने भी दिया नंबर सबके-सबके निकले बंद!
~ अज्ञात

तनहाई ले जाती है जहाँ तक याद तुम्हारी,
वही से शुरू होती है जिंदगी हमारी,
नहीं सोचा था हम चाहेंगे तुम्हें इस कदर,
पर अब तो बन गए हो तुम किसमत हमारी…..!!!
~ अज्ञात
तनहाई ले जाती है जहाँ तक याद तुम्हारी, वही से शुरू होती है जिंदगी हमारी, नहीं सोचा था हम चाहेंगे तुम्हें इस कदर, पर अब तो बन गए हो तुम किसमत हमारी…..!!!

जब से देखा है तेरी आँखो मे झाँक कर,
कोई भी आईना अच्छा नही लगता,
तेरी मोहब्बत मे ऐसे हुए है दीवाने,
तुम्हे कोई और देखे तो अच्छा नही लगता……..!!!
~ अज्ञात
जब से देखा है तेरी आँखो मे झाँक कर, कोई भी आईना अच्छा नही लगता, तेरी मोहब्बत मे ऐसे हुए है दीवाने, तुम्हे कोई और देखे तो अच्छा नही लगता……..!!!

वो शमा की महफ़िल ही क्या,
जिसमे दिल खाक ना हो,
मज़ा तो तब है चाहत का,
जब दिल तो जले, पर राख ना हो।
~ अज्ञात
वो शमा की महफ़िल ही क्या, जिसमे दिल खाक ना हो, मज़ा तो तब है चाहत का, जब दिल तो जले, पर राख ना हो।

पहली मुलाकात थी और हम दोनों ही बेबस थे,
वो अपनी जुल्फें न संभाल पाए और हम खुद को……!!!
मुझसे जब भी मिलो तो नज़रें उठा के मिला करो,
मुझे पसंद है अपने आप को तेरी आँखों में देखना……!!!
~ अज्ञात
पहली मुलाकात थी और हम दोनों ही बेबस थे, वो अपनी जुल्फें न संभाल पाए और हम खुद को……!!! मुझसे जब भी मिलो तो नज़रें उठा के मिला करो, मुझे पसंद है अपने आप को तेरी आँखों में देखना……!!!

छुपा लूंगा तुझे इस तरह से मेरी बाहों में,
हवा भी गुज़रने के लिए इज़ाज़त मांगे,
हो जाऊं तेरे इश्क़ में मदहोश इस तरह,
कि होश भी वापस आने के इज़ाज़त मांगे…..!!!
~ अज्ञात
छुपा लूंगा तुझे इस तरह से मेरी बाहों में, हवा भी गुज़रने के लिए इज़ाज़त मांगे, हो जाऊं तेरे इश्क़ में मदहोश इस तरह, कि होश भी वापस आने के इज़ाज़त मांगे…..!!!
अज्ञात
तेरी यादों का दर्द इस दिल में बसा है, तू दूर है, पर दिल अब भी तेरे पास ही रहता है।
View Shayariअज्ञात
जिंदगी ने हर मोड़ पर हमें आजमाया है, कभी दर्द दिया, तो कभी सब्र का फल चखाया है।
View ShayariMushafi Ghulam Hamdani
यक क़तरा ख़ूँ बग़ल में है दिल मिरी सो इस को पलकों से तेरी ख़ातिर क्यूँकर निचोड़ डालूँ
View Shayariअज्ञात
जब भी तेरी याद आती है, आंखों में आंसू और दिल में बेचैनी सी छा जाती है।
View Shayariअज्ञात
बहुत अजीब हैं, तेरे बाद की, ये बरसातें भी, हम अक्सर बन्द कमरे में, भीग जाते हैं।
View Shayariसलामत रहे वो बीछड कर भी हमसे,
सलामत रहे वो बीछड कर भी हमसे, ये रब से दुआ करेंगे, वो हमें बैशक भूल जाये, हमतो उन्हें रोज याद करेंगे।
अज्ञातकोई रिश्ता टूट जाये दुख तो होता है,
कोई रिश्ता टूट जाये दुख तो होता है, अपने हो जायें पराये दुख तो होता है, माना हम नहीं प्यार के काबिल, मगर इस तरह कोई ठुकराये दुख तो होता है।
अज्ञाततेरी बेवफाई में भी एक सबक था,
तेरी बेवफाई में भी एक सबक था, जो हर खुशी से ज्यादा कीमती था।
अज्ञातलड़के बेवफा नहीं होते वो बस
लड़के बेवफा नहीं होते वो बस Confuse होते हैं … की कौन सी वाली ज्यादा प्यारी है …
अज्ञातहम से कोई तअल्लुक़-ए-ख़ातिर तो है उसे
हम से कोई तअल्लुक़-ए-ख़ातिर तो है उसे वो यार बा-वफ़ा न सही बेवफ़ा तो है
जमील मलिककिसी का साथ छोड़ने से पहले,
किसी का साथ छोड़ने से पहले, एक बार जरूर सोचना कि उसके साथ, अब तक क्यों थे…!!
अज्ञात
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"