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हम क्या कहें अहबाब क्या कार-ए-नुमायाँ कर गए
बी-ए हुए नौकर हुए पेंशन मिली फिर मर गए
कर सके दिल की वकालत न तिरी बज़्म में लोग
इस कचेहरी में तो मुख़्तार भी मजबूर रहे
औक़ाबी रूह जब बेदार होती है जवानों में,
नज़र आती है उनको अपनी मंजिल आसमानों में।
More Shayari
Motivational Shayari

इत्तिफ़ाक़ अपनी जगह ख़ुश-क़िस्मती अपनी जगह,
ख़ुद बनाता है जहाँ में आदमी अपनी जगह।
~ अनवर शऊर
इस गफ़लत में मत रहना कि मेरे गुरुर को तोड़ दोगे,
गर ये सोच भी लिया तो तुम्हारा वजूद मिट जाएगा।

इत्तिफ़ाक़ अपनी जगह ख़ुश-क़िस्मती अपनी जगह,
ख़ुद बनाता है जहाँ में आदमी अपनी जगह।
~ अनवर शऊर
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे,
जब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा न हों।

इत्तिफ़ाक़ अपनी जगह ख़ुश-क़िस्मती अपनी जगह,
ख़ुद बनाता है जहाँ में आदमी अपनी जगह।
~ अनवर शऊर

इत्तिफ़ाक़ अपनी जगह ख़ुश-क़िस्मती अपनी जगह,
ख़ुद बनाता है जहाँ में आदमी अपनी जगह।
~ अनवर शऊर
Festival Shayari

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

मय-ख़ाना सलामत है तो हम सुर्ख़ी-ए-मय से
तज़ईन-ए-दर-ओ-बाम-ए-हरम करते रहेंगे
~ Faiz Ahmed Faiz
मय-ख़ाना सलामत है तो हम सुर्ख़ी-ए-मय से तज़ईन-ए-दर-ओ-बाम-ए-हरम करते रहेंगे
ऐसा चेहरा है तेरा जैसा रोशन सवेरा जिस जगह तू नहीं है उस जगह है अँधेरा कैसे फिर चैन तुझ बिन तेरे बदनाम लेंगे हुस्न की बात चली तो सब तेरा नाम लेंगे!!!
Funny Shayari
अज्ञात

ख़त लिखता हूँ खून से स्याही ना समझना,
किसी मरीज़ का सैंपल आया था मेरा न समझना!
~ अज्ञात

जरुरी नहीं है की, इश्क़ में हमबिस्तर होना पड़े,
किसी को जीभर के महसूस करना भी इश्क़ है।
~ अज्ञात
जरुरी नहीं है की, इश्क़ में हमबिस्तर होना पड़े, किसी को जीभर के महसूस करना भी इश्क़ है।

छुपा लूंगा तुझे इस तरह से मेरी बाहों में,
हवा भी गुज़रने के लिए इज़ाज़त मांगे,
हो जाऊं तेरे इश्क़ में मदहोश इस तरह,
कि होश भी वापस आने के इज़ाज़त मांगे…..!!!
~ अज्ञात
छुपा लूंगा तुझे इस तरह से मेरी बाहों में, हवा भी गुज़रने के लिए इज़ाज़त मांगे, हो जाऊं तेरे इश्क़ में मदहोश इस तरह, कि होश भी वापस आने के इज़ाज़त मांगे…..!!!

आये हो जो आँखों में कुछ देर ठहर जाओ,
एक उम्र गुजरती है एक ख्वाब सजाने में………!!!
~ अज्ञात
आये हो जो आँखों में कुछ देर ठहर जाओ, एक उम्र गुजरती है एक ख्वाब सजाने में………!!!

मैं बेचैन सा लगता हूं
वो राहत जैसी लगती हैं
मैं खो जाता हूं ख्वाबों में
वो भीतर मेरे जगती हैं !
~ अज्ञात
मैं बेचैन सा लगता हूं वो राहत जैसी लगती हैं मैं खो जाता हूं ख्वाबों में वो भीतर मेरे जगती हैं !

हमें आदत नहीं हर एक पे मर मिटने की,
तुझे में बात ही कुछ ऐसी थी दिल ने सोचने की मोहलत ना दी…..!!!
~ अज्ञात
हमें आदत नहीं हर एक पे मर मिटने की, तुझे में बात ही कुछ ऐसी थी दिल ने सोचने की मोहलत ना दी…..!!!
अज्ञात
तेरे बिना इस दिल को सुकून नहीं मिलता, हर खुशी तेरे साथ ही थी, अब सब बेमानी है।
View Shayariअज्ञात
वो ख्वाब जो हमने साथ देखे थे, अब उन ख्वाबों का कोई मतलब नहीं रह गया।
View Shayariअज्ञात
कुछ फैसले जिंदगी में ऐसे होते हैं, जो दिल तोड़ जाते हैं, मगर जिंदगी को बदल देते हैं।
View ShayariMushafi Ghulam Hamdani
यक क़तरा ख़ूँ बग़ल में है दिल मिरी सो इस को पलकों से तेरी ख़ातिर क्यूँकर निचोड़ डालूँ
View Shayariअज्ञात
कुछ रिश्ते कभी मुकम्मल नहीं होते, फिर भी उन्हें दिल से निभाना पड़ता है।
View Shayariमोहब्बत सीखा कर जुदा हो गया
मोहब्बत सीखा कर जुदा हो गया ना सोचा ना समझा खफा हो गया दुनिया में हम किसको अपना कहे जो अपना था वही बेवफा हो गया !!
अज्ञातयूं तो मैं गहरी समुंदर हूं गमों का,
यूं तो मैं गहरी समुंदर हूं गमों का, मगर मुस्कुराने की आदत है मेरी…!!
अज्ञातवही तो मरकज़ी किरदार है कहानी का
वही तो मरकज़ी किरदार है कहानी का उसी पे ख़त्म है तासीर बेवफ़ाई की
इक़बाल अशहरउसने दोस्ती का ऐसा सिला दिया,
उसने दोस्ती का ऐसा सिला दिया, अपने मतलब के लिए उसने, मेरी दोस्ती को भुला दिया…!!
अज्ञातवो दिन याद आते जब तू कहती मोहब्बत है
वो दिन याद आते जब तू कहती मोहब्बत है अब वो दिन याद आते हैं जब तू बेवफा है।
अज्ञातबहुत दर्द देती है आज भी वो यादें,
बहुत दर्द देती है आज भी वो यादें, जिन यादों में तुम नजर आते हो…!!
अज्ञातमुद्दा ये नही की दाल महंगी है गालिब
मुद्दा ये नही की दाल महंगी है गालिब दर्द ये है की किसी की गल नही रही
अज्ञातहर सितम सहकर कितने ग़म छिपाये हमने,
हर सितम सहकर कितने ग़म छिपाये हमने, तेरी खातिर हर दिन आँसू बहाये हमने, तू छोड़ गया जहाँ हमें राहों में अकेला, बस तेरे दिए ज़ख्म हर एक से छिपाए हमने !!
अज्ञात
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"