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ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह,
कोई चारासाज़ होता कोई ग़म-गुसार होता!
अव्वल तो थोड़ी थोड़ी चाहत थी दरमियाँ में
फिर बात कहते लुक्नत आने लगी ज़बाँ में
ज़माना सख़्त कम-आज़ार है ब-जान-ए-असद
वगरना हम तो तवक़्क़ो ज़्यादा रखते हैं
More Shayari
Motivational Shayari

दिल में न हो जुरअत तो मोहब्बत नहीं मिलती
ख़ैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती
~ Nida Fazli

दिल में न हो जुरअत तो मोहब्बत नहीं मिलती
ख़ैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती
~ Nida Fazli
निगह बुलंद सुख़न दिल-नवाज़ जाँ पुर-सोज़,
यही है रख़्त-ए-सफ़र मीर-ए-कारवाँ के लिए।

दिल में न हो जुरअत तो मोहब्बत नहीं मिलती
ख़ैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती
~ Nida Fazli

दिल में न हो जुरअत तो मोहब्बत नहीं मिलती
ख़ैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती
~ Nida Fazli
Festival Shayari

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

मुस्कुराते हैं तो बिजलियाँ गिरा देती हैं
बात करते हैं तो दीवाना बना देती हैं
हुस्न वालों की नजर कम नहीं कयामत से
आग पानी में वो नज़रों से लगा देती हैं!!!
~ अज्ञात
मुस्कुराते हैं तो बिजलियाँ गिरा देती हैं बात करते हैं तो दीवाना बना देती हैं हुस्न वालों की नजर कम नहीं कयामत से आग पानी में वो नज़रों से लगा देती हैं!!!
तेरा ATTITUDE मेरे सामने CHILLER है, क्योंकि मेरी SMILE ही कुछ ज्यादा KILLER है।
Funny Shayari
अकबर इलाहाबादी

बुतों के पहले बंदे थे मिसों के अब हुए ख़ादिम
हमें हर अहद में मुश्किल रहा है बा-ख़ुदा होना
~ अकबर इलाहाबादी
नींद आती है तो एक ख्वाब आता है,
ख्वाब में इक लड़की आती है,
और पीछे उसका बाप आता है,
फिर क्या,
फिर न नींद आती है न ख्वाब आता है!

मेरे दिल के नाज़ुक धड़कनो को,
तुमने धड़कना सिखा दिया,
जब से मिला हैं प्यार तेरा,
ग़म में भी मुस्कुराना सिखा दिया….!!!
~ अज्ञात
मेरे दिल के नाज़ुक धड़कनो को, तुमने धड़कना सिखा दिया, जब से मिला हैं प्यार तेरा, ग़म में भी मुस्कुराना सिखा दिया….!!!

मुझे तो सिर्फ तुम चाहिए,
ना तुमसे बेहतर ना तुमसे अच्छा।
~ अज्ञात
मुझे तो सिर्फ तुम चाहिए, ना तुमसे बेहतर ना तुमसे अच्छा।

तुम मेरी पहेली का वो खोया हुआ टुकड़ा हो,
जिसे मैं जीवन भर खोजता रहा हूँ।
~ अज्ञात
तुम मेरी पहेली का वो खोया हुआ टुकड़ा हो, जिसे मैं जीवन भर खोजता रहा हूँ।

खुद आपको नहीं पता की, आप कितनी प्यारी हो,
जान हो हमारी पर जान से प्यारी हो।
~ अज्ञात
खुद आपको नहीं पता की, आप कितनी प्यारी हो, जान हो हमारी पर जान से प्यारी हो।

हकीकत कहो तो उन्हें ख्वाब लगता है,
संजीदा रहो तो उन्हें मज़ाक लगता है,
कितनी शिद्दत से उन्हें याद करते हैं,
वो हैं जिन्हें ये सब कुछ मजाक लगता है।
~ अज्ञात
हकीकत कहो तो उन्हें ख्वाब लगता है, संजीदा रहो तो उन्हें मज़ाक लगता है, कितनी शिद्दत से उन्हें याद करते हैं, वो हैं जिन्हें ये सब कुछ मजाक लगता है।
ज़ेब ग़ौरी
ज़ख़्म ही तेरा मुक़द्दर हैं दिल तुझ को कौन सँभालेगा ऐ मेरे बचपन के साथी मेरे साथ ही मर जाना
View Shayariअज्ञात
“दिल का हर जख्म अब तुम्हारी यादों में बस गया है, जिसे मैं कभी मिटा नहीं सकता।”
View Shayariअज्ञात
इश्क मे हमने कीतन सीतम सहे हे शहर तो छोड़ दिया,,, अब क्या जीना छोड़ दे।
View Shayariमुंशी अमीरुल्लाह तस्लीम
आस क्या अब तो उमीद-ए-नाउमीदी भी नहीं कौन दे मुझ को तसल्ली कौन बहलाए मुझे
View Shayariफ़ारूक़ शफ़क़
दिन किसी तरह से कट जाएगा सड़कों पे ‘शफ़क़’ शाम फिर आएगी हम शाम से घबराएँगे
View Shayariअज्ञात
“दर्द तो है पर शिकायत नहीं, क्योंकि जिसे हमने दिल दिया, उसने कभी हमें दिल से चाहा ही नहीं।”
View Shayariअज्ञात
“मुझे पता था कि एक दिन तुम जाओगे, फिर भी दिल ने तुम्हें कभी खोने नहीं दिया।”
View Shayariबेवफा तू नहीं, तेरे वादे थे बेवफा,
बेवफा तू नहीं, तेरे वादे थे बेवफा, तेरी यादें अब भी इस दिल में बसी हुई हैं।
अज्ञातवो शख्स जो कहता था तू ना मिला तो मर जाउंगा
वो शख्स जो कहता था तू ना मिला तो मर जाउंगा “फ़राज़” वो आज भी जिंदा है यही बात किसी और से कहने के लिए
अज्ञातधोखा देती है अक्सर माशूम चेहरे की चमक
धोखा देती है अक्सर माशूम चेहरे की चमक हर कांच के टुकड़े को हीरा नही कहते
अज्ञातमोहब्बत सीखा कर जुदा हो गया
मोहब्बत सीखा कर जुदा हो गया ना सोचा ना समझा खफा हो गया दुनिया में हम किसको अपना कहे जो अपना था वही बेवफा हो गया !!
अज्ञातवक्त बदला, तू बदली, बदल गए हम भी,
वक्त बदला, तू बदली, बदल गए हम भी, बेवफाई के इस तमाशे में, खो गया हर खुशी।
अज्ञातलोगों से सुना तो था कि तू बेवफा है,
लोगों से सुना तो था कि तू बेवफा है, लेकिन मेरी अंधी मोहब्बत ने तुझ पर यकीन किया…!!
अज्ञातक्यों महसूस नहीं होती उसे मेरी तकलीफ,
क्यों महसूस नहीं होती उसे मेरी तकलीफ, जो कहती थी अच्छे से जानती हूं तुम्हे…!!
अज्ञातदिल टूटा, ख्वाब बिखरे,
दिल टूटा, ख्वाब बिखरे, तेरी यादों में बस एक बेवफाई की दास्तां रह गई।
अज्ञात
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"