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बोले कि तुझ को दीन की इस्लाह फ़र्ज़ है
मैं चल दिया ये कह के कि आदाब अर्ज़ है
नफरत की आग इतनी तेज नहीँ जितनी एक सच्चेप्यार की जलाकर राख कर देगी
एक चिंगारी अगर वो उठ गई तो
आ ही गया वो मुझ को लहद में उतारने
ग़फ़लत ज़रा न की मिरे ग़फ़लत-शिआर ने
मर्ग की देखते ही शक्ल गए भाग हवास
लड़के जूँ खेलते में जाते हैं उस्ताद से छुप
अब मैंने खुद का धयान रखना शुरू कर दिया है,
क्योंकि धयान रखने वाले अब बदल चुके है…!!
More Shayari
Motivational Shayari

वो आएँगे तो आएँगे जुनून-ए-शौक़ उभारने
वो जाएँगे तो जाएँगे ख़राबियाँ किए हुए
~ Ada Jaffrey
चला जाता हूँ हँसता खेलता मौज-ए-हवादिस से,
अगर आसानियाँ हों ज़िंदगी दुश्वार हो जाए।

वो आएँगे तो आएँगे जुनून-ए-शौक़ उभारने
वो जाएँगे तो जाएँगे ख़राबियाँ किए हुए
~ Ada Jaffrey
कागज़ को तुम पंख समझते हो, मेरे रंग को बेरंग समझते हो,
थोड़ा वक्त लो और संभल जाओ, जिसे लोग तूफ़ान कहते हैं उसे तुम हवा का झोखा समझते हो।

वो आएँगे तो आएँगे जुनून-ए-शौक़ उभारने
वो जाएँगे तो जाएँगे ख़राबियाँ किए हुए
~ Ada Jaffrey

वो आएँगे तो आएँगे जुनून-ए-शौक़ उभारने
वो जाएँगे तो जाएँगे ख़राबियाँ किए हुए
~ Ada Jaffrey
Festival Shayari

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

हँसी थमी है इन आँखों में यूँ नमी की तरह
चमक उठे हैं अंधेरे भी रौशनी की तरह
– मीना कुमारी नाज़
~ अज्ञात
हँसी थमी है इन आँखों में यूँ नमी की तरह चमक उठे हैं अंधेरे भी रौशनी की तरह – मीना कुमारी नाज़
साथ मेरे तेरे जो दुख था सो प्यारे ऐश था जब सीं तू बिछड़ा है तब सीं ऐश सब ग़म हो गया
इन दिनों गरचे दकन में है बड़ी क़द्र-ए-सुख़न कौन जाए 'ज़ौक़' पर दिल्ली की गलियाँ छोड़ कर

आपको देख के कली हसकर बोली आप इतने प्यारे है
तो आपके बच्चेकितने प्यारे होगे???
~ अज्ञात
आपको देख के कली हसकर बोली आप इतने प्यारे है तो आपके बच्चेकितने प्यारे होगे???
Funny Shayari
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

बाल अपने बढ़ाते हैं किस वास्ते दीवाने
क्या शहर-ए-मोहब्बत में हज्जाम नहीं होता
~ मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

सारी दुनिया की खुशी अपनी जगह,
उन सबके बीच तेरी कमी अपनी जगह…..!!!
~ अज्ञात
सारी दुनिया की खुशी अपनी जगह, उन सबके बीच तेरी कमी अपनी जगह…..!!!

दोनों जानते है के, हम नहीं एक-दूसरे के नसीब में,
फिर भी मोहब्बत दिन-ब-दिन बे-पनाह होती जा रही है…….!!!
~ अज्ञात
दोनों जानते है के, हम नहीं एक-दूसरे के नसीब में, फिर भी मोहब्बत दिन-ब-दिन बे-पनाह होती जा रही है…….!!!

यूँ तो बहुत से हैं रास्तें, मुझ तक पहुंचने के,
राह-ऐ-मोहब्बत से आना, फासला कम पड़ेगा……!!!
~ अज्ञात
यूँ तो बहुत से हैं रास्तें, मुझ तक पहुंचने के, राह-ऐ-मोहब्बत से आना, फासला कम पड़ेगा……!!!

मैं तुमसे प्यार इसलिए करता हूँ ये नहीं कि तुम परफेक्ट हो,
बल्कि इसलिए कि तुम मेरे लिए परफेक्ट हो।
~ अज्ञात
मैं तुमसे प्यार इसलिए करता हूँ ये नहीं कि तुम परफेक्ट हो, बल्कि इसलिए कि तुम मेरे लिए परफेक्ट हो।

बिन तेरे मेरी हर खुशी अधूरी है,
फिर सोच मेरे लिए तू कितनी जरूरी है !
~ अज्ञात
बिन तेरे मेरी हर खुशी अधूरी है, फिर सोच मेरे लिए तू कितनी जरूरी है !
अज्ञात
वो पास होकर भी दूर लगते हैं, जिनसे हमारी मोहब्बत कभी पूरी नहीं हो पाई।
View Shayariअज्ञात
“ख़ामोशी का मतलब ये नहीं कि हमें दर्द नहीं होता, बल्कि दिल से रोते हैं पर दिखाते नहीं।”
View Shayariअज्ञात
“दिल का हर दर्द अब तुम्हारी यादों से जुड़ा हुआ है, जिन्हें मैं कभी भुला नहीं सकता।”
View ShayariZafar Iqbal
इश्क़ उदासी के पैग़ाम तो लाता रहता है दिन रात लेकिन हम को ख़ुश रहने की आदत बहुत ज़ियादा है
View Shayariअज्ञात
कितनी ही कोशिशें कीं तुम्हें भूलने की, पर हर बार तुम्हारी यादें फिर लौट आती हैं।
View Shayariतेरे बिना ज़िंदगी कुछ भी नहीं,
तेरे बिना ज़िंदगी कुछ भी नहीं, तू छोड़ दे इसे, हम बस ज़िंदगी गुज़ारेंगे…!!
अज्ञातएटीटूड दिखाने वालों को हम मुंह नहीं लगाते,
एटीटूड दिखाने वालों को हम मुंह नहीं लगाते, शराफत दिखाने वाले हमारे दिलों में राज करते हैं…!!
अज्ञातवो तुझे भूलें हैं तो तुझपे भी लाज़िम है ‘मीर’,
वो तुझे भूलें हैं तो तुझपे भी लाज़िम है ‘मीर’, ख़ाक डाल, आग लगा, नाम न ले, याद न कर…!!
अज्ञातदिमाग पर जोर लगाकर गिनते हो गलतियां मेरी
दिमाग पर जोर लगाकर गिनते हो गलतियां मेरी कभी दिल पर हाथ रखकर पूछना कसूर किसका था…
अज्ञातआज उस ने हंस के यूं पूछा मिज़ाज
आज उस ने हंस के यूं पूछा मिज़ाज उम्र भर के रंज-ओ-ग़म याद आ गए
एहसान दानिशआज तुम हर सांस के साथ याद आ रहे हो
आज तुम हर सांस के साथ याद आ रहे हो बताओ तो जरा तुम्हारी यादें रोकू या सांसे
अज्ञातकिसी को अगर दिल से,
किसी को अगर दिल से, अपना माना हो और वह हमें, अपना ना समझे तो आखें ही नहीं, दिल भी रो देता है…!!
अज्ञात
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"